Question and Answer forum for K12 Students
Hindi Essay (Hindi Nibandh) | 100 विषयों पर हिंदी निबंध लेखन – Essays in Hindi on 100 Topics
हिंदी निबंध: हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा है। हमारे हिंदी भाषा कौशल को सीखना और सुधारना भारत के अधिकांश स्थानों में सेवा करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्कूली दिनों से ही हम हिंदी भाषा सीखते थे। कुछ स्कूल और कॉलेज हिंदी के अतिरिक्त बोर्ड और निबंध बोर्ड में निबंध लेखन का आयोजन करते हैं, छात्रों को बोर्ड परीक्षा में हिंदी निबंध लिखने की आवश्यकता होती है।
निबंध – Nibandh In Hindi – Hindi Essay Topics
- सच्चा धर्म पर निबंध – (True Religion Essay)
- राष्ट्र निर्माण में युवाओं का योगदान निबंध – (Role Of Youth In Nation Building Essay)
- अतिवृष्टि पर निबंध – (Flood Essay)
- राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका पर निबंध – (Role Of Teacher In Nation Building Essay)
- नक्सलवाद पर निबंध – (Naxalism In India Essay)
- साहित्य समाज का दर्पण है हिंदी निबंध – (Literature And Society Essay)
- नशे की दुष्प्रवृत्ति निबंध – (Drug Abuse Essay)
- मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर निबंध – (It is the Mind which Wins and Defeats Essay)
- एक राष्ट्र एक कर : जी०एस०टी० ”जी० एस०टी० निबंध – (Gst One Nation One Tax Essay)
- युवा पर निबंध – (Youth Essay)
- अक्षय ऊर्जा : सम्भावनाएँ और नीतियाँ निबंध – (Renewable Sources Of Energy Essay)
- मूल्य-वृदधि की समस्या निबंध – (Price Rise Essay)
- परहित सरिस धर्म नहिं भाई निबंध – (Philanthropy Essay)
- पर्वतीय यात्रा पर निबंध – (Parvatiya Yatra Essay)
- असंतुलित लिंगानुपात निबंध – (Sex Ratio Essay)
- मनोरंजन के आधुनिक साधन पर निबंध – (Means Of Entertainment Essay)
- मेट्रो रेल पर निबंध – (Metro Rail Essay)
- दूरदर्शन पर निबंध – (Importance Of Doordarshan Essay)
- दूरदर्शन और युवावर्ग पर निबंध – (Doordarshan Essay)
- बस्ते का बढ़ता बोझ पर निबंध – (Baste Ka Badhta Bojh Essay)
- महानगरीय जीवन पर निबंध – (Metropolitan Life Essay)
- दहेज नारी शक्ति का अपमान है पे निबंध – (Dowry Problem Essay)
- सुरीला राजस्थान निबंध – (Folklore Of Rajasthan Essay)
- राजस्थान में जल संकट पर निबंध – (Water Scarcity In Rajasthan Essay)
- खुला शौच मुक्त गाँव पर निबंध – (Khule Me Soch Mukt Gaon Par Essay)
- रंगीला राजस्थान पर निबंध – (Rangila Rajasthan Essay)
- राजस्थान के लोकगीत पर निबंध – (Competition Of Rajasthani Folk Essay)
- मानसिक सुख और सन्तोष निबंध – (Happiness Essay)
- मेरे जीवन का लक्ष्य पर निबंध नंबर – (My Aim In Life Essay)
- राजस्थान में पर्यटन पर निबंध – (Tourist Places Of Rajasthan Essay)
- नर हो न निराश करो मन को पर निबंध – (Nar Ho Na Nirash Karo Man Ko Essay)
- राजस्थान के प्रमुख लोक देवता पर निबंध – (The Major Folk Deities Of Rajasthan Essay)
- देशप्रेम पर निबंध – (Patriotism Essay)
- पढ़ें बेटियाँ, बढ़ें बेटियाँ योजना यूपी में लागू निबंध – (Read Daughters, Grow Daughters Essay)
- सत्संगति का महत्व पर निबंध – (Satsangati Ka Mahatva Nibandh)
- सिनेमा और समाज पर निबंध – (Cinema And Society Essay)
- विपत्ति कसौटी जे कसे ते ही साँचे मीत पर निबंध – (Vipatti Kasauti Je Kase Soi Sache Meet Essay)
- लड़का लड़की एक समान पर निबंध – (Ladka Ladki Ek Saman Essay)
- विज्ञापन के प्रभाव – (Paragraph Speech On Vigyapan Ke Prabhav Essay)
- रेलवे प्लेटफार्म का दृश्य पर निबंध – (Railway Platform Ka Drishya Essay)
- समाचार-पत्र का महत्त्व पर निबंध – (Importance Of Newspaper Essay)
- समाचार-पत्रों से लाभ पर निबंध – (Samachar Patr Ke Labh Essay)
- समाचार पत्र पर निबंध (Newspaper Essay in Hindi)
- व्यायाम का महत्व निबंध – (Importance Of Exercise Essay)
- विद्यार्थी जीवन पर निबंध – (Student Life Essay)
- विद्यार्थी और राजनीति पर निबंध – (Students And Politics Essay)
- विद्यार्थी और अनुशासन पर निबंध – (Vidyarthi Aur Anushasan Essay)
- मेरा प्रिय त्यौहार निबंध – (My Favorite Festival Essay)
- मेरा प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favourite Book Essay)
- पुस्तक मेला पर निबंध – (Book Fair Essay)
- मेरा प्रिय खिलाड़ी निबंध हिंदी में – (My Favorite Player Essay)
- सर्वधर्म समभाव निबंध – (All Religions Are Equal Essay)
- शिक्षा में खेलकूद का स्थान निबंध – (Shiksha Mein Khel Ka Mahatva Essay)a
- खेल का महत्व पर निबंध – (Importance Of Sports Essay)
- क्रिकेट पर निबंध – (Cricket Essay)
- ट्वेन्टी-20 क्रिकेट पर निबंध – (T20 Cricket Essay)
- मेरा प्रिय खेल-क्रिकेट पर निबंध – (My Favorite Game Cricket Essay)
- पुस्तकालय पर निबंध – (Library Essay)
- सूचना प्रौद्योगिकी और मानव कल्याण निबंध – (Information Technology Essay)
- कंप्यूटर और टी.वी. का प्रभाव निबंध – (Computer Aur Tv Essay)
- कंप्यूटर की उपयोगिता पर निबंध – (Computer Ki Upyogita Essay)
- कंप्यूटर शिक्षा पर निबंध – (Computer Education Essay)
- कंप्यूटर के लाभ पर निबंध – (Computer Ke Labh Essay)
- इंटरनेट पर निबंध – (Internet Essay)
- विज्ञान: वरदान या अभिशाप पर निबंध – (Science Essay)
- शिक्षा का गिरता स्तर पर निबंध – (Falling Price Level Of Education Essay)
- विज्ञान के गुण और दोष पर निबंध – (Advantages And Disadvantages Of Science Essay)
- विद्यालय में स्वास्थ्य शिक्षा निबंध – (Health Education Essay)
- विद्यालय का वार्षिकोत्सव पर निबंध – (Anniversary Of The School Essay)
- विज्ञान के वरदान पर निबंध – (The Gift Of Science Essays)
- विज्ञान के चमत्कार पर निबंध (Wonder Of Science Essay in Hindi)
- विकास पथ पर भारत निबंध – (Development Of India Essay)
- कम्प्यूटर : आधुनिक यन्त्र–पुरुष – (Computer Essay)
- मोबाइल फोन पर निबंध (Mobile Phone Essay)
- मेरी अविस्मरणीय यात्रा पर निबंध – (My Unforgettable Trip Essay)
- मंगल मिशन (मॉम) पर निबंध – (Mars Mission Essay)
- विज्ञान की अद्भुत खोज कंप्यूटर पर निबंध – (Vigyan Ki Khoj Kampyootar Essay)
- भारत का उज्जवल भविष्य पर निबंध – (Freedom Is Our Birthright Essay)
- सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा निबंध इन हिंदी – (Sare Jahan Se Achha Hindustan Hamara Essay)
- डिजिटल इंडिया पर निबंध (Essay on Digital India)
- भारतीय संस्कृति पर निबंध – (India Culture Essay)
- राष्ट्रभाषा हिन्दी निबंध – (National Language Hindi Essay)
- भारत में जल संकट निबंध – (Water Crisis In India Essay)
- कौशल विकास योजना पर निबंध – (Skill India Essay)
- हमारा प्यारा भारत वर्ष पर निबंध – (Mera Pyara Bharat Varsh Essay)
- अनेकता में एकता : भारत की विशेषता – (Unity In Diversity Essay)
- महंगाई की समस्या पर निबन्ध – (Problem Of Inflation Essay)
- महंगाई पर निबंध – (Mehangai Par Nibandh)
- आरक्षण : देश के लिए वरदान या अभिशाप निबंध – (Reservation System Essay)
- मेक इन इंडिया पर निबंध (Make In India Essay In Hindi)
- ग्रामीण समाज की समस्याएं पर निबंध – (Problems Of Rural Society Essay)
- मेरे सपनों का भारत पर निबंध – (India Of My Dreams Essay)
- भारतीय राजनीति में जातिवाद पर निबंध – (Caste And Politics In India Essay)
- भारतीय नारी पर निबंध – (Indian Woman Essay)
- आधुनिक नारी पर निबंध – (Modern Women Essay)
- भारतीय समाज में नारी का स्थान निबंध – (Women’s Role In Modern Society Essay)
- चुनाव पर निबंध – (Election Essay)
- चुनाव स्थल के दृश्य का वर्णन निबन्ध – (An Election Booth Essay)
- पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं पर निबंध – (Dependence Essay)
- परमाणु शक्ति और भारत हिंदी निंबध – (Nuclear Energy Essay)
- यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो हिंदी निबंध – (If I were the Prime Minister Essay)
- आजादी के 70 साल निबंध – (India ofter 70 Years Of Independence Essay)
- भारतीय कृषि पर निबंध – (Indian Farmer Essay)
- संचार के साधन पर निबंध – (Means Of Communication Essay)
- भारत में दूरसंचार क्रांति हिंदी में निबंध – (Telecom Revolution In India Essay)
- दूरसंचार में क्रांति निबंध – (Revolution In Telecommunication Essay)
- राष्ट्रीय एकता का महत्व पर निबंध (Importance Of National Integration)
- भारत की ऋतुएँ पर निबंध – (Seasons In India Essay)
- भारत में खेलों का भविष्य पर निबंध – (Future Of Sports Essay)
- किसी खेल (मैच) का आँखों देखा वर्णन पर निबंध – (Kisi Match Ka Aankhon Dekha Varnan Essay)
- राजनीति में अपराधीकरण पर निबंध – (Criminalization Of Indian Politics Essay)
- प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हिन्दी निबंध – (Narendra Modi Essay)
- बाल मजदूरी पर निबंध – (Child Labour Essay)
- भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi)
- महिला सशक्तिकरण पर निबंध – (Women Empowerment Essay)
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर निबंध (Beti Bachao Beti Padhao)
- गरीबी पर निबंध (Poverty Essay in Hindi)
- स्वच्छ भारत अभियान पर निबंध (Swachh Bharat Abhiyan Essay)
- बाल विवाह एक अभिशाप पर निबंध – (Child Marriage Essay)
- राष्ट्रीय एकीकरण पर निबंध – (Importance of National Integration Essay)
- आतंकवाद पर निबंध (Terrorism Essay in hindi)
- सड़क सुरक्षा पर निबंध (Road Safety Essay in Hindi)
- बढ़ती भौतिकता घटते मानवीय मूल्य पर निबंध – (Increasing Materialism Reducing Human Values Essay)
- गंगा की सफाई देश की भलाई पर निबंध – (The Good Of The Country: Cleaning The Ganges Essay)
- सत्संगति पर निबंध – (Satsangati Essay)
- महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध – (Women’s Role In Society Today Essay)
- यातायात के नियम पर निबंध – (Traffic Safety Essay)
- बेटी बचाओ पर निबंध – (Beti Bachao Essay)
- सिनेमा या चलचित्र पर निबंध – (Cinema Essay In Hindi)
- परहित सरिस धरम नहिं भाई पर निबंध – (Parhit Saris Dharam Nahi Bhai Essay)
- पेड़-पौधे का महत्व निबंध – (The Importance Of Trees Essay)
- वर्तमान शिक्षा प्रणाली – (Modern Education System Essay)
- महिला शिक्षा पर निबंध (Women Education Essay In Hindi)
- महिलाओं की समाज में भूमिका पर निबंध (Women’s Role In Society Essay In Hindi)
- यदि मैं प्रधानाचार्य होता पर निबंध – (If I Was The Principal Essay)
- बेरोजगारी पर निबंध (Unemployment Essay)
- शिक्षित बेरोजगारी की समस्या निबंध – (Problem Of Educated Unemployment Essay)
- बेरोजगारी समस्या और समाधान पर निबंध – (Unemployment Problem And Solution Essay)
- दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi)
- जनसँख्या पर निबंध – (Population Essay)
- श्रम का महत्त्व निबंध – (Importance Of Labour Essay)
- जनसंख्या वृद्धि के दुष्परिणाम पर निबंध – (Problem Of Increasing Population Essay)
- भ्रष्टाचार : समस्या और निवारण निबंध – (Corruption Problem And Solution Essay)
- मीडिया और सामाजिक उत्तरदायित्व निबंध – (Social Responsibility Of Media Essay)
- हमारे जीवन में मोबाइल फोन का महत्व पर निबंध – (Importance Of Mobile Phones Essay In Our Life)
- विश्व में अत्याधिक जनसंख्या पर निबंध – (Overpopulation in World Essay)
- भारत में बेरोजगारी की समस्या पर निबंध – (Problem Of Unemployment In India Essay)
- गणतंत्र दिवस पर निबंध – (Republic Day Essay)
- भारत के गाँव पर निबंध – (Indian Village Essay)
- गणतंत्र दिवस परेड पर निबंध – (Republic Day of India Essay)
- गणतंत्र दिवस के महत्व पर निबंध – (2020 – Republic Day Essay)
- महात्मा गांधी पर निबंध (Mahatma Gandhi Essay)
- ए.पी.जे. अब्दुल कलाम पर निबंध – (Dr. A.P.J. Abdul Kalam Essay)
- परिवार नियोजन पर निबंध – (Family Planning In India Essay)
- मेरा सच्चा मित्र पर निबंध – (My Best Friend Essay)
- अनुशासन पर निबंध (Discipline Essay)
- देश के प्रति मेरे कर्त्तव्य पर निबंध – (My Duty Towards My Country Essay)
- समय का सदुपयोग पर निबंध – (Samay Ka Sadupyog Essay)
- नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों पर निबंध (Rights And Responsibilities Of Citizens Essay In Hindi)
- ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध – (Global Warming Essay)
- जल जीवन का आधार निबंध – (Jal Jeevan Ka Aadhar Essay)
- जल ही जीवन है निबंध – (Water Is Life Essay)
- प्रदूषण की समस्या और समाधान पर लघु निबंध – (Pollution Problem And Solution Essay)
- प्रकृति संरक्षण पर निबंध (Conservation of Nature Essay In Hindi)
- वन जीवन का आधार निबंध – (Forest Essay)
- पर्यावरण बचाओ पर निबंध (Environment Essay)
- पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
- पर्यावरण सुरक्षा पर निबंध (Environment Protection Essay In Hindi)
- बढ़ते वाहन घटता जीवन पर निबंध – (Vehicle Pollution Essay)
- योग पर निबंध (Yoga Essay)
- मिलावटी खाद्य पदार्थ और स्वास्थ्य पर निबंध – (Adulterated Foods And Health Essay)
- प्रकृति निबंध – (Nature Essay In Hindi)
- वर्षा ऋतु पर निबंध – (Rainy Season Essay)
- वसंत ऋतु पर निबंध – (Spring Season Essay)
- बरसात का एक दिन पर निबंध – (Barsat Ka Din Essay)
- अभ्यास का महत्व पर निबंध – (Importance Of Practice Essay)
- स्वास्थ्य ही धन है पर निबंध – (Health Is Wealth Essay)
- महाकवि तुलसीदास का जीवन परिचय निबंध – (Tulsidas Essay)
- मेरा प्रिय कवि निबंध – (My Favourite Poet Essay)
- मेरी प्रिय पुस्तक पर निबंध – (My Favorite Book Essay)
- कबीरदास पर निबन्ध – (Kabirdas Essay)
इसलिए, यह जानना और समझना बहुत महत्वपूर्ण है कि विषय के बारे में संक्षिप्त और कुरकुरा लाइनों के साथ एक आदर्श हिंदी निबन्ध कैसे लिखें। साथ ही, कक्षा 1 से 10 तक के छात्र उदाहरणों के साथ इस पृष्ठ से विभिन्न हिंदी निबंध विषय पा सकते हैं। तो, छात्र आसानी से स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें, इसकी तैयारी कर सकते हैं। इसके अलावा, आप हिंदी निबंध लेखन की संरचना, हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखने के लिए टिप्स आदि के बारे में कुछ विस्तृत जानकारी भी प्राप्त कर सकते हैं। ठीक है, आइए हिंदी निबन्ध के विवरण में गोता लगाएँ।
हिंदी निबंध लेखन – स्कूल और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए हिंदी में निबन्ध कैसे लिखें?
प्रभावी निबंध लिखने के लिए उस विषय के बारे में बहुत अभ्यास और गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है जिसे आपने निबंध लेखन प्रतियोगिता या बोर्ड परीक्षा के लिए चुना है। छात्रों को वर्तमान में हो रही स्थितियों और हिंदी में निबंध लिखने से पहले विषय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में जानना चाहिए। हिंदी में पावरफुल निबन्ध लिखने के लिए सभी को कुछ प्रमुख नियमों और युक्तियों का पालन करना होगा।
हिंदी निबन्ध लिखने के लिए आप सभी को जो प्राथमिक कदम उठाने चाहिए उनमें से एक सही विषय का चयन करना है। इस स्थिति में आपकी सहायता करने के लिए, हमने सभी प्रकार के हिंदी निबंध विषयों पर शोध किया है और नीचे सूचीबद्ध किया है। एक बार जब हम सही विषय चुन लेते हैं तो विषय के बारे में सभी सामान्य और तथ्यों को एकत्र करते हैं और अपने पाठकों को संलग्न करने के लिए उन्हें अपने निबंध में लिखते हैं।
तथ्य आपके पाठकों को अंत तक आपके निबंध से चिपके रहेंगे। इसलिए, हिंदी में एक निबंध लिखते समय मुख्य बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करें और किसी प्रतियोगिता या बोर्ड या प्रतिस्पर्धी जैसी परीक्षाओं में अच्छा स्कोर करें। ये हिंदी निबंध विषय पहली कक्षा से 10 वीं कक्षा तक के सभी कक्षा के छात्रों के लिए उपयोगी हैं। तो, उनका सही ढंग से उपयोग करें और हिंदी भाषा में एक परिपूर्ण निबंध बनाएं।
हिंदी भाषा में दीर्घ और लघु निबंध विषयों की सूची
हिंदी निबन्ध विषयों और उदाहरणों की निम्न सूची को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है जैसे कि प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, सामान्य चीजें, अवसर, खेल, खेल, स्कूली शिक्षा, और बहुत कुछ। बस अपने पसंदीदा हिंदी निबंध विषयों पर क्लिक करें और विषय पर निबंध के लघु और लंबे रूपों के साथ विषय के बारे में पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त करें।
विषय के बारे में समग्र जानकारी एकत्रित करने के बाद, अपनी लाइनें लागू करने का समय और हिंदी में एक प्रभावी निबन्ध लिखने के लिए। यहाँ प्रचलित सभी विषयों की जाँच करें और किसी भी प्रकार की प्रतियोगिताओं या परीक्षाओं का प्रयास करने से पहले जितना संभव हो उतना अभ्यास करें।
हिंदी निबंधों की संरचना
उपरोक्त छवि आपको हिंदी निबन्ध की संरचना के बारे में प्रदर्शित करती है और आपको निबन्ध को हिन्दी में प्रभावी ढंग से रचने के बारे में कुछ विचार देती है। यदि आप स्कूल या कॉलेजों में निबंध लेखन प्रतियोगिता में किसी भी विषय को लिखते समय निबंध के इन हिस्सों का पालन करते हैं तो आप निश्चित रूप से इसमें पुरस्कार जीतेंगे।
इस संरचना को बनाए रखने से निबंध विषयों का अभ्यास करने से छात्रों को विषय पर ध्यान केंद्रित करने और विषय के बारे में छोटी और कुरकुरी लाइनें लिखने में मदद मिलती है। इसलिए, यहां संकलित सूची में से अपने पसंदीदा या दिलचस्प निबंध विषय को हिंदी में चुनें और निबंध की इस मूल संरचना का अनुसरण करके एक निबंध लिखें।
हिंदी में एक सही निबंध लिखने के लिए याद रखने वाले मुख्य बिंदु
अपने पाठकों को अपने हिंदी निबंधों के साथ संलग्न करने के लिए, आपको हिंदी में एक प्रभावी निबंध लिखते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ युक्तियाँ और नियम इस प्रकार हैं:
- अपना हिंदी निबंध विषय / विषय दिए गए विकल्पों में से समझदारी से चुनें।
- अब उन सभी बिंदुओं को याद करें, जो निबंध लिखने शुरू करने से पहले विषय के बारे में एक विचार रखते हैं।
- पहला भाग: परिचय
- दूसरा भाग: विषय का शारीरिक / विस्तार विवरण
- तीसरा भाग: निष्कर्ष / अंतिम शब्द
- एक निबंध लिखते समय सुनिश्चित करें कि आप एक सरल भाषा और शब्दों का उपयोग करते हैं जो विषय के अनुकूल हैं और एक बात याद रखें, वाक्यों को जटिल न बनाएं,
- जानकारी के हर नए टुकड़े के लिए निबंध लेखन के दौरान एक नए पैराग्राफ के साथ इसे शुरू करें।
- अपने पाठकों को आकर्षित करने या उत्साहित करने के लिए जहाँ कहीं भी संभव हो, कुछ मुहावरे या कविताएँ जोड़ें और अपने हिंदी निबंध के साथ संलग्न रहें।
- विषय या विषय को बीच में या निबंध में जारी रखने से न चूकें।
- यदि आप संक्षेप में हिंदी निबंध लिख रहे हैं तो इसे 200-250 शब्दों में समाप्त किया जाना चाहिए। यदि यह लंबा है, तो इसे 400-500 शब्दों में समाप्त करें।
- महत्वपूर्ण हिंदी निबंध विषयों का अभ्यास करते समय इन सभी युक्तियों और बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए, आप निश्चित रूप से किसी भी प्रतियोगी परीक्षाओं में कुरकुरा और सही निबंध लिख सकते हैं या फिर सीबीएसई, आईसीएसई जैसी बोर्ड परीक्षाओं में।
हिंदी निबंध लेखन पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. मैं अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार कैसे कर सकता हूं? अपने हिंदी निबंध लेखन कौशल में सुधार करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक किताबों और समाचार पत्रों को पढ़ना और हिंदी में कुछ जानकारीपूर्ण श्रृंखलाओं को देखना है। ये चीजें आपकी हिंदी शब्दावली में वृद्धि करेंगी और आपको हिंदी में एक प्रेरक निबंध लिखने में मदद करेंगी।
2. CBSE, ICSE बोर्ड परीक्षा के लिए हिंदी निबंध लिखने में कितना समय देना चाहिए? हिंदी बोर्ड परीक्षा में एक प्रभावी निबंध लिखने पर 20-30 का खर्च पर्याप्त है। क्योंकि परीक्षा हॉल में हर मिनट बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए, सभी वर्गों के लिए समय बनाए रखना महत्वपूर्ण है। परीक्षा से पहले सभी हिंदी निबन्ध विषयों से पहले अभ्यास करें और परीक्षा में निबंध लेखन पर खर्च करने का समय निर्धारित करें।
3. हिंदी में निबंध के लिए 200-250 शब्द पर्याप्त हैं? 200-250 शब्दों वाले हिंदी निबंध किसी भी स्थिति के लिए बहुत अधिक हैं। इसके अलावा, पाठक केवल आसानी से पढ़ने और उनसे जुड़ने के लिए लघु निबंधों में अधिक रुचि दिखाते हैं।
4. मुझे छात्रों के लिए सर्वश्रेष्ठ औपचारिक और अनौपचारिक हिंदी निबंध विषय कहां मिल सकते हैं? आप हमारे पेज से कक्षा 1 से 10 तक के छात्रों के लिए हिंदी में विभिन्न सामान्य और विशिष्ट प्रकार के निबंध विषय प्राप्त कर सकते हैं। आप स्कूलों और कॉलेजों में प्रतियोगिताओं, परीक्षाओं और भाषणों के लिए हिंदी में इन छोटे और लंबे निबंधों का उपयोग कर सकते हैं।
5. हिंदी परीक्षाओं में प्रभावशाली निबंध लिखने के कुछ तरीके क्या हैं? हिंदी में प्रभावी और प्रभावशाली निबंध लिखने के लिए, किसी को इसमें शानदार तरीके से काम करना चाहिए। उसके लिए, आपको इन बिंदुओं का पालन करना चाहिए और सभी प्रकार की परीक्षाओं में एक परिपूर्ण हिंदी निबंध की रचना करनी चाहिए:
- एक पंच-लाइन की शुरुआत।
- बहुत सारे विशेषणों का उपयोग करें।
- रचनात्मक सोचें।
- कठिन शब्दों के प्रयोग से बचें।
- आंकड़े, वास्तविक समय के उदाहरण, प्रलेखित जानकारी दें।
- सिफारिशों के साथ निष्कर्ष निकालें।
- निष्कर्ष के साथ पंचलाइन को जोड़ना।
निष्कर्ष हमने एक टीम के रूप में हिंदी निबन्ध विषय पर पूरी तरह से शोध किया और इस पृष्ठ पर कुछ मुख्य महत्वपूर्ण विषयों को सूचीबद्ध किया। हमने इन हिंदी निबंध लेखन विषयों को उन छात्रों के लिए एकत्र किया है जो निबंध प्रतियोगिता या प्रतियोगी या बोर्ड परीक्षाओं में भाग ले रहे हैं। तो, हम आशा करते हैं कि आपको यहाँ पर सूची से हिंदी में अपना आवश्यक निबंध विषय मिल गया होगा।
यदि आपको हिंदी भाषा पर निबंध के बारे में अधिक जानकारी की आवश्यकता है, तो संरचना, हिंदी में निबन्ध लेखन के लिए टिप्स, हमारी साइट LearnCram.com पर जाएँ। इसके अलावा, आप हमारी वेबसाइट से अंग्रेजी में एक प्रभावी निबंध लेखन विषय प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए इसे अंग्रेजी और हिंदी निबंध विषयों पर अपडेट प्राप्त करने के लिए बुकमार्क करें।
निबंध (Hindi Essay)
आजकल के समय में निबंध लिखना एक महत्वपूर्ण विषय बन चुका है, खासतौर से छात्रों के लिए। ऐसे कई अवसर आते हैं, जब आपको विभिन्न विषयों पर निबंधों की आवश्यकता होती है। निबंधों के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए हमने इन निबंधों को तैयार किया है। हमारे द्वारा तैयार किये गये निबंध बहुत ही क्रमबद्ध तथा सरल हैं और हमारे वेबसाइट पर छोटे तथा बड़े दोनो प्रकार की शब्द सीमाओं के निबंध उपलब्ध हैं।
निबंध क्या है?
कई बार लोगो द्वारा यह प्रश्न पूछा जाता है कि आखिर निबंध क्या है? और निबंध की परिभाषा क्या है? वास्तव में निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है। जिसे क्रमबद्ध तरीके से लिखा गया हो। एक अच्छा निबंध लिखने के लिए हमें कुछ बातों का ध्यान देना चाहिए जैसे कि – हमारे द्वारा लिखित निबंध की भाषा सरल हो, इसमें विचारों की पुनरावृत्ति न हो, निबंध के विभिन्न हिस्सों को शीर्षकों में बांटा गया हो आदि।
यदि आप इन बातों का ध्यान रखगें तो एक अच्छा निबंध(Hindi Nibandh) अवश्य लिख पायेंगे। अपने निबंधों के लेखन के पश्चात उसे एक बार अवश्य पढ़े क्योंकि ऐसा करने पर आप अपनी त्रुटियों को ठीक करके अपने निबंधों को और भी अच्छा बना पायेंगे।
हम अपने वेबसाइट पर कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 और कॉलेज विद्यार्थियों के लिए विभिन्न प्रकार के निबंध(Essay in Hindi) उपलब्ध करा रहे हैं| इस प्रकार के निबंध आपके बच्चों और विद्यार्थियों की अतिरिक्त पाठ्यक्रम गतिविधियों जैसे: निबंध लेखन, वाद-विवाद प्रतियोगिता और विचार-विमर्श में बहुत सहायक हो साबित होंगे।
ये सारे हिन्दी निबंध (Hindi Essay) बहुत आसान शब्दों का प्रयोग करके बहुत ही सरल और आसान भाषा में लिखे गए हैं। इन निबंधों को कोई भी व्यक्ति बहुत ही आसानी से समझ सकता है। हमारे वेबसाइट पर स्कूलों में दिये जाने वाले निबंधों के साथ ही अन्य कई प्रकार के निबंध उपलब्ध है। जो आपके परीक्षाओं तथा अन्य कार्यों के लिए काफी सहायक सिद्ध होंगे, इन दिये गये निबंधों का आप अपनी आवश्यकता अनुसार उपयोग कर सकते हैं। ऐसे ही अन्य सामग्रियों के लिए भी आप हमारी वेबसाइट का प्रयोग कर सकते हैं।
Essay in Hindi
500+ विषयों पर हिंदी निबंध
विद्यार्थी जीवन में निबंध लेखन (Hindi Essay Writing) एक अहम हिस्सा है। विद्यार्थी के जीवन में हर बार ऐसे अवसर आते हैं, जहाँ पर निबन्ध लिखने को दिए जाते हैं। निबंध लेखन का कार्य हर तरह की परीक्षा में भी विशेष रूप से पूछा जाता है।
यहां पर हमने अलग-अलग विषयों पर क्रमबद्ध हिंदी निबंध (hindi nibandh) लिखे है। यह निबन्ध सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिए मददगार साबित होंगे।
यहां पर वर्तमान विषयों पर हिंदी में निबंध (current essay topics in hindi) उपलब्ध किये है।
हिंदी निबंध (Essay Writing in Hindi)
भारत देश से जुड़े निबन्ध, पर्यावरण और पर्यावरण मुद्दों से जुड़े निबंध, महान हस्तियों पर निबन्ध, सामाजिक मुद्दों पर निबन्ध, नैतिक मूल्य पर निबंध, तकनीकी से जुड़े निबंध, शिक्षा से जुड़े निबन्ध, पशु पक्षियों पर निबंध, त्योहारों पर निबंध, विभिन्न उत्सवों पर निबंध, स्वास्थ्य से जुड़े निबंध, प्रकृति पर निबंध, खेल पर निबंध, महत्त्व वाले निबन्ध, शहरों और राज्यों पर निबन्ध, संरक्षण पर निबन्ध, नारी शक्ति पर निबंध, रिश्तों पर निबंध, फल और सब्जियों पर निबंध, फूलों, पौधों और पेड़ों पर निबन्ध, प्रदूषण पर निबंध, लोकोक्ति पर निबन्ध, धरोहर पर निबन्ध, निबंध क्या है.
निबंध एक प्रकार की गद्य रचना होती है, जिसमें किसी विशेष विषय के बारे में विस्तार से वर्णन किया जाता है। निबंध के जरिये निबंध लिखने वाला व्यक्ति या लेखक अपने भावों और विचारों को बहुत ही प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने की कोशिश करता है।
निबंध लिखने वाले व्यक्ति को उस विषय के बारे में पूर्ण रूप से जानकारी होने के साथ ही उसकी उस भाषा पर अच्छी पकड़ भी होना बहुत जरूरी है। सभी व्यक्तियों की अपनी अलग-अलग अभिव्यक्ति होती है। इस कारण ही हमें एक विषय पर बहुत से तरीकों में लिखे निबंध मिल जायेंगे।
निबंध की परिभाषा को आसान से शब्दों में बताये तो “किसी विशेष विषय पर भावों और विचारों को क्रमबद्ध तरीके से सुगठित, सुंदर और सुबोध भाषा में लिखी रचना को निबंध कहते हैं।”
निबन्ध लिखते समय इन बातों का रखे विशेष ध्यान
- लिखा गया निबंध बहुत ही आसान शब्दों में लिखा हो, जिससे कि पढ़ने वाले को कोई मुश्किल नहीं हो।
- निबंध में भाव और विचार की पुनरावृत्ति नहीं करें।
- निबंध लिखते समय उसे विभिन भागों में बाँट देना चाहिए, जिससे पढ़ने आसानी हो जाये।
- वर्तनी शुद्ध रखे और विराम चिन्हों को सही से प्रयोग करें।
- जिस विषय पर निबंध लिखा जा रहा है, उस विषय के बारे में विस्तार से चर्चा लिखे।
इन बातों को ध्यान में रखकर आप एक बहुत ही सुंदर और अच्छा निबंध लिख सकते हैं। जब आप निबंध पूरी तरह से लिख ले तो उसके बाद आप पुनः एक बार पूरे निबंध को जरूर पढ़ लें और त्रुटी की जांच कर लें, जिससे निबंध और भी अच्छा हो जाएगा।
निबंध के अंग
निबन्ध को विशेष रूप से तीन भागों में विभाजित किया गया है:
भूमिका/प्रस्तावना
उपसंहार/निष्कर्ष.
यह निबंध का सबसे पहला भाग होता है। इससे ही निबंध की शुरुआत होती है। इसमें जिस विषय पर निबन्ध लिख रहे हैं उसके बारे में सामान्य और संक्षिप्त जानकारी दी जाती है।
इसे लिखते समय यह विशेष ध्यान रखें कि यह बहुत छोटा होने के साथ ही सारगर्भित भी हो, जिससे पाठक को पढ़ते समय आनंद की अनुभूति हो और उस निबंध को पूरा पढ़े।
यह निबंध का अगला भाग है जिसमें विषय के बारे में विस्तार से चर्चा की जाती है। इस भाग को लिखते समय आपके पास जितनी भी जानकारी उपलब्ध है, उसे क्रमबद्ध करके अलग-अलग अनुच्छेद में प्रस्तुत करना होता है।
इसमें आपका क्रम पूरी तरह से व्यवस्थित होना चाहिए। हर दूसरा अनुच्छेद पहले अनुच्छेद से सम्बंधित होना चाहिए।
यह निबंध का सबसे अंतिम भाग होता है। इस भाग तक पहुँचने से पहले पूरी चर्चा पहले के अनुच्छेदों में कर ली जाती है। यहां पर पूरी चर्चा का सारांश छोटे से रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
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#short essay: हमारा प्रिय कवि : तुलसीदास.
प्रस्तावना : भारत महानताओं का देश है। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं, जहाँ हमारी कीर्ति की पताका न फहरायी हो। चाहे वह क्षेत्र वीरता का रहा हो या साहित्य का। यहाँ यदि महाराणा प्रताप, सुभाषचंद्र बोस तथा अब्दुल हमीद जैसे वीर पैदा हुए हैं। तो साहित्य के क्षेत्र में रवींद्रनाथ ठाकुर, प्रेमचंद, सूर, कबीर और तुलसी जैसे महान् लेखकों और कवियों ने जन्म लिया। साहित्यकारों में मुझे सबसे अधिक प्रेरणा महात्मा तुलसीदास से मिली है।
जीवन-वृत्त : कहा जाता है कि तुलसीदास को जन्म देते ही इनकी माता हुलसी की मृत्यु हो गयी थी। इनके पिता आत्माराम दुबे ने इन्हें घर से निकाल दिया। उन्होंने कहा कि ‘इसके नक्षत्र परिवार एवं गाँव वालों के लिए अमंगलकारी हैं। यह जहाँ भी रहेगा, नाश ही उपस्थित करेगा।’ घर की दासी ने इनका लालन-पालन किया। जन्म के समय वे रोये नहीं थे, अपितु उन्होंने अपने मुख से ‘राम’ शब्द का उच्चारण किया था। इस आधार पर इनका नाम ‘रामबोला’ रख दिया गया।
बड़ा होने पर इनका विवाह रत्नावली से हुआ। वे उसकी सुंदरता पर अत्यधिक मोहित थे। एक दिन रत्नावली अपने मायके चली गयी। इस पर वे उसके लिए बेचैन हो उठे और आँधी, वर्षा तथा रात्रि की परवाह न करते हुए रत्नावली के पास जा पहुँचे। रत्ना ने मधुर फटकार दी। मगर तुलसीदास के मन में उनके शब्द गढ़ गए।
सब कुछ त्यागकर वे घर से निकल पड़े। स्वामी नरहरिदास के संपर्क से इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और उन्होंने ‘रामचरितमानस’ की रचना की। बनारस के पंडों ने इस ग्रंथ का घोर विरोध किया। उन्होंने तुलसीदास जी को जान से मार डालने के लिए गुंडे लगवाए। मगर वे सफल न हो सके। धीरे-धीरे तुलसीदास का यश फैलता चला गया। उनकी राम-कथा को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे।
उपसंहार : तुलसीदास जी ने अपने जीवनकाल में अनेक ग्रंथों की रचना की। इनमें विनयपत्रिका, कवितावली, गीतावली तथा रामचरितमानस अत्यधिक प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। तुलसीदास के महान् ग्रंथ रामचरितमानस को तो घर-घर में प्रतिष्ठा प्राप्त है। जब तक भारत में हिंदू-धर्म जीवित रहेगा, तुलसीदास का नाम अमर रहेगा।
#short Essay: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी
प्रस्तावना : भारतभूमि पर जब-जब भी विपत्ति आयी, तब-तब यहाँ, किसी-न-किसी महान् विभूति का उदय हुआ। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी उन्हीं विभूतियों में से एक हैं। यह उसी संत की तपस्या का एवं साधना का प्रतिफल है कि हम आज स्वतंत्र भारत में साँस ले रहे हैं।
जीवन-परिचय : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर सन् 1869 को गुजरात राज्य के पोरबंदर नामक नगर में हुआ। गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था। वे राजकोट रियासत में दीवान थे। गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था। वह धर्मपरायण महिला थीं। गांधी जी पर प्रारंभ से ही सत्यता और कर्त्तव्यपरायणता का प्रभाव पड़ा।
गांधी जी की प्रारंभिक शिक्षा गुजरात में हुई। अपने बचपन में उन्होंने मातृ-पितृ भक्त श्रवणकुमार’ एवं ‘सत्य हरिश्चंद्र’ नाटक पढ़े।
वे उनसे बहुत अधिक प्रभावित हुए। तभी से उन्होंने माता-पिता की सेवा एवं सत्य को अपनाने का व्रत ले लिया। अठारह वर्ष की आयु में गांधी जी ने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की और वे वकालत की शिक्षा के लिए इंग्लैंड गए। वकालत की शिक्षा पूरी करके वे स्वदेश लौटे। एक मुकदमे के सिलसिले में उन्हें दक्षिण अफ्रीका जाने का अवसर प्राप्त हुआ। वहाँ पर आंदोलन आरंभ कर दिया। उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। अंत में वे प्रवासी भारतीयों को गोरों के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने में सफल हुए।
राजनीति में प्रवेश : जब गांधी जी अफ्रीका से लौटे, उससे पूर्व ही देश में स्वतंत्रता आंदोलन आरंभ हो चुका था। गांधी जी ने अफ्रीका में पर्याप्त ख्याति प्राप्त की थी। इस कारण भारतवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। उन्होंने देश की स्वतंत्रता की बागडोर उनके हाथों में सौंप दी। गांधी जी ने पूर्ण विश्वास के साथ स्वतंत्रता-आंदोलन का संचालन किया। उनके नेतृत्व में ब्रिटिश सत्ता के विरोध में बड़े-बड़े आंदोलन चलाए गए। गांधी जी ने सभी आंदोलन अहिंसात्मक रूप से चलाए। उनके इन्हीं सिद्धांतों पर अंग्रेजों को झुकना पड़ा। उनके अथक् प्रयासों के बाद 15 अगस्त सन् 1947 को देश स्वतंत्र हुआ।
अपने चारित्रिक गुणों के बल पर महात्मा गांधी विश्व में प्रसिद्ध हुए। वे केवल राजनीतिज्ञ ही नहीं थे। वे आध्यात्मिक एवं सामाजिक नेता भी थे। जीवनभर वे अछूतों के उद्धार, विदेशी वस्तुओं के परित्याग, चर्खा आंदोलन, सत्याग्रह जैसे महान् कार्यों में लगे रहे।
स्वर्गवास : देश को स्वतंत्र हुए एक वर्ष भी नहीं हुआ था। 30 जनवरी 1948 का दिन था। शाम के समय जब गांधी जी अपने सहयोगियों के साथ प्रार्थना-स्थल पर जा रहे थे, तभी नाथूराम गोडसे नाम के व्यक्ति ने उन पर रिवाल्वर से गोलियां चला दीं। स्वतंत्रता के अग्रणी दूत गांधी जी हमसे हमेशा के लिए विदा हो गए। उपसंहार : गांधी जी इस युग के सबसे महान् युग-पुरूष थे।
उन्होंने भारतवासियों को जाग्रत किया। उन्हें आत्मसम्मान की शिक्षा दी। हमें सत्य और अहिसा के मार्ग पर चलकर देश को विकास की ओर अग्रसर करना होगा। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
#short Essay: पंडित जवाहरलाल नेहरू
प्रस्तावना : भारत के लाल जवाहरलाल से संपूर्ण विश्व परिचित है। उनका जन्म 14 नवंबर सन् 1889 में इलाहाबाद के आनंदभवन में हुआ। नेहरू जी के पिता पंडित मोतीलाल नेहरू उस समय के प्रसिद्ध वकील थे। उनकी माता जी का नाम स्वरूपरानी था। वे नेहरू जी को असीम प्यार करती थीं। नेहरू जी के परिवार पर लक्ष्मी की महान् कृपा थी। इसलिए नेहरू जी का लालन-पालन राजकुमारों के समान हुआ। उनकी आरंभिक शिक्षा मौलवी, पंडित एवं एक अंग्रेज पादरी की देख-रेख में घर पर ही हुई।
पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उच्च शिक्षा इंग्लैंड से प्राप्त की। लंदन के हैरो एवं कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में अपनी शिक्षा पूर्ण कर के वे सन् 1912 में बैरिस्टर बनकर स्वदेश लौटे। राजनीति में प्रवेश : सन् 1916 में नेहरू जी का विवाह कमलादेवी के साथ हुआ। कमलादेवी देशभक्त महिला थीं। लंदन से लौटने के बाद से ही नेहरू जी राजनीति की ओर खिंचते गए। सन् 1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन आरंभ किया। नेहरू जी भी उसमें सम्मिलित हुए। फलस्वरूप उन्हें बंदी बना लिया गया।
सन् 1929 में उन्हें काँग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। उस समय उन्होंने रावी नदी के तट पर पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने की प्रतिज्ञा की। तभी से वे भारतीय जनता के हृदय-सम्राट् बन गए। नेहरू जी ने अनेक बार जेल-यात्राएँ की। उन्होंने अपने जीवन के चौदह वर्ष जेलों में व्यतीत किए।
स्वतंत्रता आंदोलन के बीच में ही उनकी पत्नी कमला नेहरू बीमार पड़ गयीं। परंतु कमला जी को बचाया नहीं जा सका। वहीं पर उनकी मृत्यु हो गयी। वे अपनी एकमात्र संतान इंदिरा को लंदन के एक स्कूल में दाखिला दिलाकर भारत लौट आए। वे फिर से देश-सेवा के काम में लग गए।
प्रधानमंत्री के रूप में : 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हुआ। देश में नये सूर्य का उदय हुआ। जनता ने दीप जलाकर खुशियाँ मनायीं। पंडित जवाहरलाल नेहरू को देश का प्रधानमंत्री बनाया गया। वे लगातार सत्तरह वर्ष तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में उन्नति की।
उपसंहार : नेहरू जी सदैव विश्व-शांति के समर्थक रहे। हमारा देश आज भी पंडित जी के बताये मार्ग पर अग्रसर है। 27 मई सन् 1964 को अचानक इस महान् पुरुष का निधन हो गया। उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम उनके बताए हुए मार्ग पर चलें और अपने देश को विश्व में श्रेष्ठ बनाएँ।
#Short Essay: देश के प्रिय नेता राजीव गांधी
प्रस्तावना : स्वर्गीय राजीव गांधी विश्वप्रसिद्ध नेता थे। वे आज हमारे बीच नहीं हैं। उन्होंने अपने कार्यों के द्वारा थोड़े समय में ही बड़ी ख्याति अर्जित की। श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद राजीव गांधी के कंधों पर प्रधानमंत्री पद का भार आया। उनके लिए यह बड़ी मुश्किल का समय था। तब वे न हँस सकते थे, न खुश हो सकते थे और न ही रो सकते थे। एक ओर विशाल देश के प्रधानमंत्री का पद था तो दूसरी ओर माँ की अकाल मृत्यु का दु:ख। ऐसे समय में उन्होंने बड़े धैर्य, साहस एवं संयम का परिचय दिया।
जीवन-परिचय : राजीव गांधी का जनम 20 अगस्त 1944 को बंबई में हुआ। उनकी माता का नाम श्रीमती इंदिरा गांधी एवं पिता का नाम श्री फिरोज गांधी था। इंदिरा गांधी ने राजनीति में रहते हुए माँ का पूर्ण दायित्व निभाया। देश की आजादी के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने प्रधानमंत्री पद संभाला। तब राजीव गांधी अपनी माता के साथ दिल्ली में रहे। उनके पिता फिरोज गांधी लखनऊ से बराबर उनके पास आते रहते थे।
राजीव गांधी ने किण्डर गार्टन के बाद दून स्कूल से आई. एस. सी. की परीक्षा उत्तीर्ण की। उसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। वहाँ पर उन्होंने तकनीकी शिक्षा भी प्राप्त की। स्वदेश लौटकर उन्होंने दिल्ली फ्लाइंग क्लब की सदस्यता ग्रहण की। विमान-चालक का काम सीखने के बाद राजीव गांधी विमान-चालक बन गए।
राजनीति में प्रवेश : अपने छोटे भाई संजय गांधी की असामयिक मृत्यु के बाद राजीव गांधी राजनीति में आए। सन् 1981 के चुनाव में वे पहली बार लोकसभा के सदस्य चुने गए। 30 अक्टूबर 1984 को श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद उन्हें देश का प्रधानमंत्री बनाया गया।
उपसंहार : राजीव गांधी के मन में राष्ट्र के विकास और देशवासियों के जीवन-स्तर को सुधारने की प्रबल इच्छा थी। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने वायदों को पूरा करने का प्रयास किया। उन्होंने अपने शासनकाल के पाँच वर्ष पूरे किए। सन् 1989 के चुनाव में काँग्रेस दल को लोकसभा में पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इस कारण वे विपक्ष के नेता रहे। 21 मई 1991 को वे पेरम्बुदूर में जनसभा को सम्बोधित करने के लिए जा रहे थे। तभी कुछ देशद्रोहियों ने मानव-बम द्वारा उनकी जघन्य हत्या कर दी। देश से उसका युवा एवं प्रिय नेता छिन गया। निश्चय ही इस अभाव की पूर्ति असंभव है। राजीव गांधी की मृत्यु से भारतीय राजनीति को बहुत बड़ी हानि पहुंची।
#Short Essay: श्रीमती इंदिरा गांधी
जीवन परिचय : श्रीमती गांधी भारत की ही नहीं, विश्व की लोकप्रिय महिला नेता थीं। संपूर्ण विश्व उनकी प्रतिभा एवं उनके गुणों का प्रशंसक रहा है। उनका जन्म 19 नवंबर सन् 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में हुआ।
उनके पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के प्रसिद्ध नेता थे। इंदिरा जी को बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय वातावरण मिला। . उनके बचपन का नाम इंदिरा प्रियदर्शनी था। तेरह वर्ष की आयु में उन्होंने बच्चों की वानर सेना का गठन किया। उनकी वानर सेना स्वतंत्रता सेनानियों को सूचनाएँ पहुँचाने का कार्य करती थी।
श्रीमती गांधी ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। इतिहास उनका प्रिय विषय था। सन् 1944 में फिरोज गांधी से उनका विवाह हुआ। उनके दो पुत्र राजीव गांधी एवं संजय गांधी हुए। स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद वह नेहरू जी के साथ ही रहती रहीं। वह उनके कार्यों में पूरा सहयोग करती थीं। इस प्रकार बचपन से ही उन्होंने राजनीति को समझने का प्रयास किया।सन् 1955 में उन्हें काँग्रेस का अध्यक्ष चुना गया। 19 जनवरी 1966 को वे देश की प्रधानमंत्री चुनी गयीं।
प्रधानमंत्री के रूप में : प्रधानमंत्री बनने के बाद श्रीमती गांधी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया। समाज में समानता का नियम लागू किया। अमीर-गरीब की खाई को समाप्त करने के प्रयास किए। उन्होंने बंगलादेश को पाकिस्तान की बर्बर शासन-नीति से छुटकारा दिलाया। इससे विश्वस्तर पर भारत को गौरव मिला। उन्होंने सन् 1975 में देश में आपातकाल घोषित कर दिया। इसका दुरुपयोग होने के कारण सन् 1917 के चुनाव में वे चुनाव हार गयीं। किंतु ढाई वर्ष बाद देश में पुनः चुनाव हुए।
चुनाव में श्रीमती गांधी की जीत हुई। वह फिर से देश की प्रधानमंत्री चुनी गयीं। 12 जनवरी 1982 में उन्होंने देश में बीस सूत्री कार्यक्रम लागू किया। सन् 1983 में देश में उन्होंने एशियाई खेल आयोजित करवाए। 1983 में निर्गुट देशों का सम्मेलन बुलाया। श्रीमती गांधी द्वारा आयोजित इन कार्यक्रमों से विश्वस्तर पर देश की प्रतिष्ठा बढ़ी।
31 अक्टूबर सन् 1984 को उनके अंगरक्षकों ने ही उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया। देश ने अपने एक महान् नेता को खो दिया।
उपसंहार : श्रीमती गांधी हमारे देश की महान् विभूति थीं। वे विश्वस्तर की महिला नेता थीं। वास्तव में श्रीमती गांधी के अनुपम बलिदान, राष्ट्रभक्ति, उत्तरदायित्वपूर्ण आचरण, शासनपटुता, नेतृत्व एवं लोकप्रियता आदि को भारत ही नहीं संपूर्ण विश्व नतमस्तक होकर स्वीकार करता है।
#Short Essay: क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस
प्रस्तावना : भारत की आजादी के लिए अनेक वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया। सुभाषचंद्र बोस भी महान् नेता और देश-भक्त पुरुष थे। उन्होंने अपना जीवन देश के लिए बलिदान कर दिया था।
जीवन-परिचय : सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 ई. में कटक में हुआ। बोस के पिता का नाम जानकीदास बोस तथा माता जी का नमा प्रभावती था। उनके पिता उस समय कटक के प्रसिद्ध वकील थे। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें रायबहादुर की उपाधि से विभूषित किया था। सुभाष बचपन से ही तेज बुद्धि के थे। प्रथम श्रेणी में बी०ए० करने के पश्चात् वे इंग्लैंड गए। वहाँ से आई०सी०एस० की परीक्षा उत्तीर्ण कर सन् 1920 में स्वदेश लौटे।
राजनीति में प्रवेश : महात्मा गांधी का असहयोग आंदोलन संपूर्ण देश में फैल चुका था। लोग ब्रिटिश सरकार द्वारा दी गयी उपाधियों का त्याग कर रहे थे। ऐसे समय में बोस चुपचाप सरकारी नौकरी नहीं कर सके। उन्होंने सरकारी नौकरी को त्याग दिया। उन्होंने देश के स्वतंत्रता-संग्राम में भाग लेना उचित समझा। उस समय बंगाल की राजनीति में देशबंधु चितरंजनदास सर्वोच्च स्थान पर थे।
सुभाष बोस ने उनसे भेंट की और उन्हें अपना गुरु बनाया। धीरे-धीरे सभाष बंगाल के राजनीतिक क्षेत्र में उन्नति करते गए। वे लोकप्रिय कार्यकर्ता और नेता माने जाने लगे। उन्हें अनेक बार जेल-यात्रा करनी पड़ी। धीरे-धीरे वे देश के शीर्ष नेताओं की पंक्ति में आ खड़े हुए।
सुभाष बोस दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। वे यथाशक्ति विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करते थे। भारत से अचानक बाहर जाकर वे दूसरे महायुद्ध के समय वर्मा पहुँचे। वहाँ उन्होंने भारतीय सैनिकों को इकट्ठा कर ‘आजाद हिंद फौज’ का गठन किया। इसका उद्देश्य भारत को स्वतंत्र कराना था।
उपसंहार : 18 अगस्त 1945 ई. में जापान जाते हुए फारमोसा में एक वायुयान दुर्घटना में सुभाष की मृत्यु हो गयी। वीर क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस की देशभक्ति से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए।
#Short Essay: वैशाखी
प्रस्तावना : वैशाखी का पवित्र त्योहार वैशाख मास (अप्रैल माह) में हिंदू माह के अनुसार पहली तिथि को मनाया जाता है। यह हिन्दुओं के नववर्ष का पहला दिन माना जाता है। गुरु गोविंदसिंह ने इसी दिन सन् 1699 ई. में खालसा पंथ की नींव डाली। तबसे सिक्ख जाति में वैशाखी का पर्व एक धार्मिक पर्व बन गया है। इस दिन सभी सिक्ख गुरुद्वारे में जाकर गुरुग्रंथ-साहब का पाठ सुनते हैं।
मनाने का कारण : वैशाखी का पर्व पूरे उत्तरी भारत में मनाया जाता है। यह पूर्वोत्तर राज्यों में भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। पंजाब में इसका बहुत अधिक महत्त्व है। इस पर्व को यहाँ पर अधिक’ धूम-धाम से मनाया जाता है। सिक्खों के दसवें गुरु गोविंदसिंह ने वैशाखी पर्व को एक ऐसे कार्य के लिए चुना, जिसने सिक्ख धर्म का रूप ही बदल दिया। उन्होंने वैशाखी को खालसा दिवस का नाम भी दिया। अर्थात् ऐसा दिवस, जब गुरु गोविंदसिंह के हाथों सिक्ख धर्म का रूप निखर गया। वह सभी कमजोरियों से मुक्त हो गया।
खालिस अथवा शुद्ध हो गया। गुरु गोविंदसिंह से पूर्व सिक्ख धर्म शांति एवं अहिंसा का समर्थक था। गुरु नानकदेत ने उन्हें यही शिक्षा दी थी। नानकदेव का कहना था कि किसी को कष्ट देना पाप है। गुरु नानकदेव एवं गुरु तेगबहादुर ने बड़े-बड़े कष्ट सहे। उन्होंने हिंसा का मार्ग नहीं अपनाया। शांति एवं सहनशीलता का मार्ग नहीं त्यागा। गुरु गोविंदसिंह ने मानवता, शांतिप्रियता एवं सद्भाव को तो स्वीकार किया; किंतु उन्होंने कहा कि अत्याचार के सामने सिर झुकाना, अत्याचार का समर्थन करना कायरता का सूचक है।
इन विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने सिक्ख-संप्रदाय को एक नया रूप दिया। उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की और अत्याचारों का विरोध किया। इस प्रकार वैशाखी का पर्व पंथ को और भी अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए मनाया जाता है।
इस. पर्व को मनाने का एक कारण और भी है। सन् 1919 ई. में वैशाखी पर्व मनाने के लिए लोग जलियाँवाला बाग में एकत्रित हुए। उन निहत्थे लोगों पर ब्रिटिश शासक जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियाँ चलवा दी थीं। इस गोलीकांड में सैकड़ों निर्दोष बच्चे, बूढ़े, स्त्री व पुरुष मौत के मुँह में चले गए। उनकी आत्मा की शांति के लिए भी इस दिन प्रार्थना की जाती है।
उपसंहार : इस प्रकार वैशाखी का पर्व नववर्ष के आगमन एवं अत्याचारों के विरोध का पर्व है। यह सभी को शिक्षा देता है कि वे सदैव मानवता, शांति एवं सद्भावना का समर्थन करें। अत्याचारों को किसी भी स्थिति में सहन न करें।
#Short Essay: विजयादशमी
प्रस्तावना : विजयादशमी हिंदुओं का प्रसिद्ध पर्व है। यह प्रतिवर्ष क्वार सदी दशमी को मनाया जाता है। इसलिए इसको दशहरा भी कहते हैं। मनाने का कारण : हमारे देश में विजयादशमी पर्व का इतिहास बहुत पुराना है। वास्तव में यह ऋतु-परिवर्तन की सूचना देने वाला पर्व है। यह पर्व बताता है कि वर्षा ऋतु बीत गई है और सुहावनी शरद् ऋतु आ गई है।
विजयादशमी पर्व के विषय में यह मान्यता है कि इसी तिथि को श्री रामचंद्र जी ने राक्षसराज रावण को पराजित करके उसका वध किया था। इस प्रकार एक बड़े अन्यायी से संसार को मुक्त करके उन्होंने धर्म और न्याय की प्रतिष्ठा की थी।
वर्णन : विजयादशमी का सबसे बड़ा आकर्षण ‘रामलीला’ है। कोई भारतीय ऐसा नहीं होगा, जिसने कभी-न-कभी और कहीं-न-कहीं रामलीला न देखी हो। राम की कथा का प्रचार हमारे देश में ही नहीं, बाहर के भी अनेक देशों में है। उन देशों में भी रामलीला के प्रदर्शन हर साल होते हैं। इस सिलसिले में इंडोनेशिया का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
हमारे देश में रामलीला का इतना प्रचार है कि छोटे-बड़े शहरों, नगरों के अतिरिक्त गाँवों में भी लोग बड़े उत्साह से इसका आयोजन करते हैं। नगरों में कई स्थानों पर एक साथ रामलीला होती है। राम-जन्म, सीता-स्वयंवर, लक्ष्मण-परशुराम-संवाद, सीता-हरण, हनुमान द्वारा लंका-दहन, लक्ष्मण-मेघनाद-युद्ध आदि के दिन तो दर्शकों की अपार भीड़ रामलीला-मंडप में दिखाई देती है। सचमुच रामलीला के दिनों की चहल-पहल देखने-योग्य होती है। रात-भर दर्शकों का तांता लगा रहता है।
रामलीला का प्रदर्शन प्रायः तुलसीदास जी के संसार-प्रसिद्ध ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ के आधार पर होता है। मंच के एक ओर बैठे व्यास जी ‘मानस’ की पंक्तियाँ गाते जाते हैं और उन्हीं के अनुसार पात्र अभिनय करके कथा आगे बढ़ाते हैं।
अंतिम दिन की रामलीला रंगमंच पर न होकर खुले मैदान में होती है। जहाँ राम-रावण युद्ध होता है और राम रावण का वध करते हैं। उसके तुरंत बाद रावण का पुतला जलाया जाता है। इस पुतले को बनाने में कई दिन लगते हैं। विजयादशमी के दूसरे दिन भरत-मिलाप का उत्सव मनाया जाता है। उस दिन का दृश्य बड़ा हृदयहारी होता है।
नंगे पैरों भागते हुए भरत बड़े भाई राम के चरणों पर गिर पड़ते हैं। श्रीराम अपने भाई को बीच में ही रोककर उन्हें अपनी विशाल भुजाओं में ले लेते हैं। इस दृश्य को देखकर सभी की आँखें आँसुओं से भर जाती हैं।
उपसंहार : विजयादशमी का पर्व अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक है। इसके माध्यम से हम राम के आदर्शों को अपनाने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
#Short Essay: रक्षाबंधन
प्रस्तावना : रक्षाबंधन भारत का बहुत ही प्राचीन और महत्त्वपूर्ण त्योहार है। रक्षाबंधन दो शब्दों से मिलकर बना है- रक्षा बंधन। अतः रक्षाबंधन का अर्थ है रक्षा के लिए किया गया प्रण। इस दिन भाई अपनी बहिन की रक्षा के लिए प्रतिज्ञा करते हैं। होली, दीपावली, दशहरा आदि त्योहारों की भाँति इस त्योहार का भी विशेष महत्त्व है।
समय : रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस त्योहार को श्रावणी, सलूनों आदि नामों से भी पुकारा जाता है। यह वर्षा ऋतु का प्रमुख त्योहार माना जाता है।
मनाने का कारण : रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है? इस विषय में कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं। एक बार देवताओं और राक्षसों में युद्ध प्रारंभ हो गया, जिसमें देवताओं की हार होने लगी। यह जानकर इंद्र को बड़ी चिंता हुई। युद्ध में विजय पाने के लिए श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन इंद्र की पत्नी ने इंद्र के हाथ में रक्षा का बंधन बाँधा था, जिससे देवताओं की विजय हुई और राक्षसों की हार हुई। तभी से रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है।
रक्षाबंधन को मनाने के विषय में एक दूसरी कथा भी प्रचलित है। एक समय चित्तौड़ की रानी कर्मावती पर गुजरात के राजा ने आक्रमण कर दिया। कर्मावती ने सम्राट् हुमायूँ के पास राखी भेजी थी। हुमायूँ ने कमवती को अपनी धर्म की बहिन मानकर उसकी रक्षा की। वास्तव में रक्षाबंधन का त्योहार भाई और बहिन के पावन प्रेम को प्रकट करता है।
मनाने की विधि : रक्षाबंधन का त्योहार मनाने के लिए कई दिन पूर्व से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। बाज़ार से सुंदर-सुंदर राखियाँ खरीदी जाती हैं। जो भाई बाहर रहते हैं उनके लिए बहिनें राखियाँ डाक द्वारा भेजती हैं। श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन प्रात:काल से ही एक निराली प्रसन्नता सी छाई रहती है। सफाई आदि के बाद दीवारों पर चित्र बनाए जाते हैं। इस दिन घरों में खीर, सेवइयाँ आदि बनाई जाती हैं। राखी की पूजा होती है। बहिन-भाई नए-नए वस्त्र धारण करते हैं। बहिनें अपने भाइयों को राखी बाँधती हैं तथा दक्षिणा में रुपये भी देते हैं।
इस दिन घरों में भी लोग राखी देने के लिए आते हैं तथा दक्षिणा पाते हैं। वास्तव में यह त्योहार भाई-बहिन के असीम स्नेह का प्रतीक है। इस प्रकार पूरे दिन प्रसन्नता का वातावरण रहता है।
उपसंहार : वास्तव में रक्षाबंधन भारत का बड़ा पवित्र एवं महत्त्वपूर्ण त्योहार है। इस त्योहार से व्यक्तियों में स्नेह एवं कर्तव्यपालन की भावना जाग्रत होती है। हम सभी को इस त्योहार की पावनता एवं शुद्धता को बनाए रखना चाहिए।
#Short Essay: जन्माष्टमी
प्रस्तावना : हमारे देश में अनेक महान् आत्माओं ने जन्म लिया। उन्होंने अपने जीवन में अनेक लोकहितकारी कार्य किए। इसलिए आज भी उनका स्मरण किया जाता है। हम श्रद्धापूर्वक उनको नमन करते हैं। श्रीकृष्ण भी ऐसे ही अवतारी पुरुष थे। श्रीकृष्ण देवकी-वसुदेव के पुत्र थे। उनका जन्म भादो मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ था। अत: यह पर्व प्रतिवर्ष जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है।
श्रीकृष्ण की महानता : कृष्ण के जन्म के समय मथुरा में क्रूर एवं अत्याचारी कंस का शासन था। वह श्रीकृष्ण का मामा था। ज्योतिषियों ने उसे बताया था कि तेरा भानजा ही तेरा वध करेगा। अपने प्राणों के भय से उसने अपनी बहिन देवकी और बहनोई वसुदेव को बंदी बना लिया था। देवकी और वसुदेव के बंदी जीवन में ही श्रीकृष्ण का जन्म हुआ। श्रीकृष्ण ने आततायी कंस से जनता को मुक्ति दिलायी। श्रीकृष्ण एक चतुर राजनीतिज्ञ थे।
वे योगीराज, विद्वान्, वीर योद्धा, देश-उद्धारक, सच्चे मित्र, अनुपम दानी और सेवा-भाव के आदर्श परुष थे। दुर्योधन की पराजय, कंस, जरासंघ, शिशुपाल आदि आततायियों का वध, अर्जुन को गीता का उपदेश, गरीब ब्राह्मण सुदामा की सहायता आदि कार्य श्रीकृष्ण की महानता को प्रकट करते हैं।
वर्णन : जन्माष्टमी के दिन लोग दिन-भर उपवास करते हैं। मंदिर में सजावट की जाती है। रासलीलाएँ होती हैं। इस अवसर पर श्रीकृष्ण की झाँकियाँ भी निकाली जाती हैं। मूर्तियाँ बनायी जाती हैं। सायंकाल लोग झाँकियों को देखने जाते हैं। मंदिरों एवं बाजारों में काफी चहल-पहल होती है। जन्माष्टमी का पर्व कृष्ण के जन्मस्थान गोकुल एवं वृदावन में बहुत. धूमधाम से मनाया जाता है। अन्य स्थानों की तुलना में यहाँ कुछ अधिक ही उत्साह दिखायी देता है। भक्तजन दिनभर उपवास के बाद अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण के जन्म के समय मंदिरों में पूजा-अर्चना करते हैं। प्रसाद बाँटा जाता है। इसके बाद भक्तगण भोजन करके अपना उपवास समाप्त करते हैं।
उपसंहार : श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें अपने कर्तव्यों को पूरा करने, बिना किसी इच्छा के कर्म करने एवं समाज में उच्चादर्श स्थापित करने की शिक्षा देता है। कृष्ण की भाँति हमें भी सच्चा मित्र और लोकहितकारी बनना चाहिए। हमें श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
#Short Essay: स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त)
प्रस्तावना : गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है-‘पराधीन सपनेहुँ सुख नाहीं।’ अर्थात् पराधीन को स्वप्न में भी सुख नहीं मिलता है। सुख स्वाधीनता में ही निहित है। पराधीनता नरक के समान है। स्वतंत्रता हमारे बलिदानी वीरों का अमूल्य उपहार है।
महत्त्व : स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है। स्वतंत्रता को प्राप्त करने के लिए हमारे अनेक वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया। अनेक ललनाओं के सुहाग मिट गए। माताओं की गोदें सूनी हो गयीं। वीर सेनानियों ने अंग्रेजों के द्वारा दी गयी शारीरिक एवं मानसिक यातनाओं को सहन किया। आखिकार हमारी सभी पीड़ाओं का अंत हुआ। देश को अपना गौरव, स्वाभिमान एवं स्वामित्व प्राप्त हुआ। वह मंगलमय दिन 15 अगस्त 1947 था। तभी से यह दिन देशवासियों के लिए महत्त्वपूर्ण पर्व बन गया। उसी दिन से भारत के निवासी प्रतिवर्ष अपनी स्वतंत्रता की वर्षगाँठ बड़ी धूमधाम एवं अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
दिवस का वर्णन : स्वतंत्रता दिवस देश का पवित्र पर्व है। इसे प्रतिवर्ष देश के कोने-कोने में बड़ी धूम-धाम से एवं उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हर्ष एवं उल्लास का प्रतीक है। 15 अगस्त के समारोह प्रात:काल से सायंकाल तक चलते हैं। इसका मुख्य समारोह राजधानी दिल्ली में होता है। प्रात:काल लालकिले की प्राचीर पर देश के प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। वे देश को संबोधित करते हैं। प्रांतों की राजधानियों में प्रदेश के मुख्यमंत्री ध्वजारोहण करते हैं। विद्यालयों में छात्र एवं शिक्षक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। प्रात:काल प्रभातफेरियाँ निकलती हैं। राष्ट्रीय गीत गाए जाते हैं। वातावरण में चारों ओर शहीदों की जय के नारे गूंज उठते हैं।
उपसंहार : इस पावन पर्व पर हमें अपनी कमजोरियों को दूर करने का संकल्प लेना चाहिए। आज देश में भाषा, प्रांत, जाति के कारण अनेक झगड़े हो रहे हैं। अनुशासनहीनता बढ़ती जा रही है। इससे हमारी स्वतंत्रता को आघात पहुंच रहा है। इन सभी बुराइयों को दूर करने के लिए हमें पूरा प्रयत्न करना चाहिए। हमें ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहिए, जिससे हमारी स्वतंत्रता को आघात पहुँचे।
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