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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 - 500 शब्दों में यहाँ देखें
प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) : हमारे देश भारत सहित दुनिया भर में प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। आज विश्व की अधिकतर आबादी प्रदूषण की समस्या से ग्रसित है और प्रदूषण जनित कई रोगों का शिकार हो रही है। लगातार बढ़ रहे इस प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए वैश्विक स्तर पर कई तरह की पहल बीते दशकों से की जा रही है। इसके तहत अंतरराष्ट्रीय स्तर से लेकर स्कूल स्तर तक जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन कर बच्चों से लेकर बड़ों तक को प्रदूषण पर नियंत्रण (pollution control) के उपाय बताकर उन्हें अमल में लाने के लिए प्रेरित किया जाता है। इसी कड़ी में प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) लिखने के लिए अक्सर स्कूलों में कहा जाता है। प्रदूषण पर निबंध (eassay on pollution in hindi) विषय पर तैयार इस लेख के माध्यम से छात्र न सिर्फ एक अच्छा निबंध लिख सकते हैं, बल्कि प्रदूषण जैसी विशाल समस्या के बारे में जानने के साथ-साथ इसकी विषय की संवेदनशीलता का भी पता लगा सकते हैं तथा कैसे ये भयंकर रूप में अब हमारे समक्ष प्रकट हुई है, इसके स्तर का भी अनुमान प्राप्त कर सकते हैं। हिंदी दिवस पर कविता | हिंदी दिवस पर निबंध | हिंदी दिवस पर भाषण
प्रदूषण देश ही नहीं, पूरे विश्व के लिए एक ज्वलंत समस्या का रूप धारण कर चुकी है। प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता होगी। प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से देश के भविष्य छात्रों में जागरूकता आएगी तथा प्रदूषण पर निबंध (Essay on pollution in Hindi) से उनको प्रदूषण की समस्या को दूर करने में अपना योगदान देने में आसानी होगी। इस लेख से प्रदूषण क्या है और प्रदूषण के कितने प्रकार का होता है - वायु, जल, ध्वनि, पर्यावरण, ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है, जिससे प्रदूषण पर निबंध हिंदी में (Essay on Pollution in Hindi) ऑनलाइन सर्च कर रहे विद्यार्थियों को प्रदूषण पर निबंध (essay on pollution) लिखने में सहायता मिलेगी।
विश्व पर्यावरण दिवस पर निबंध (essay on world environment day in hindi) लिखने में भी इस लेख की सहायता ली जा सकती है। इसके अलावा कई ऐसे छात्र भी होते हैं जिनकी हिंदी विषय/भाषा पर पकड़ कमजोर होती है, ऐसे में प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) विशेष इस लेख से उन्हें निबंध लिखने के तरीके को समझने व लिखने में सहायता प्राप्त होगी।
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प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण क्या है? (What is Pollution)
प्रदूषण, जिसे पर्यावरण प्रदूषण भी कहा जाता है। पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण (eassay on pollution in hindi) कहलाता है।
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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण का वर्तमान परिदृश्य
प्रदूषण हमारे जीवन के उन प्रमुख विषयों में से एक है, जो इस समय हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा व चिंता का विषय रहा है तथा 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया जा रहा है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इसके प्रभाव को रोकने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी इस समस्या के समाधान हेतु एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
इससे कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं में गड़बड़ी आती है। इतना ही नहीं, आज कई वनस्पतियां और जीव-जंतु या तो विलुप्त हो चुके हैं या विलुप्त होने की कगार पर हैं। प्रदूषण की मात्रा में तेजी से वृद्धि के कारण पशु तेजी से न सिर्फ अपना घर खो रहे हैं, बल्कि जीवित रहने लायक प्रकृति को भी खो रहे हैं। प्रदूषण ने दुनिया भर के कई प्रमुख शहरों को प्रभावित किया है। इन प्रदूषित शहरों में से अधिकांश भारत में ही स्थित हैं। दुनिया के कुछ सबसे प्रदूषित शहरों में दिल्ली, कानपुर, बामेंडा, मॉस्को, हेज़, चेरनोबिल, बीजिंग आदि शामिल हैं। हालांकि इन शहरों ने प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, मगर फिर भी उन्हें अभी एक लंबा रास्ता तय करना है। इन स्थानों की वायु गुणवत्ता खराब है और भूमि तथा जल प्रदूषण में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। अब समय आ गया है कि इन शहरों से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए, यहाँ मौजूद प्रशासन एक ठोस रणनीति तैयार करके उसपर अमल करे।
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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) क्या है? (What is Air Quality Index (AQI)?)
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index (AQI)) एक सूचकांक है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियों द्वारा वायु प्रदूषण के स्तर को मापने के लिए किया जाता है ताकि आम लोग वायु गुणवत्ता को लेकर जागरूक हो सकें। जैसे-जैसे एक्यूआई (AQI) बढ़ता है, इसका मतलब है कि एक बड़ी जनसंख्या गंभीर प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभावों का अनुभव करने वाली है। वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI लोगों को यह जानने में मदद करता है कि स्थानीय वायु गुणवत्ता उनके स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करती है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) पांच प्रमुख वायु प्रदूषकों के लिए एक्यूआई (AQI) की गणना करती है, जिसके लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक स्थापित किए गए हैं।
- जमीनी स्तर की ओजोन (ग्राउंड लेवल ओज़ोन)
- कण प्रदूषण/पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5/pm 10)
- कार्बन मोनोऑक्साइड
- सल्फर डाइऑक्साइड
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड
प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - प्रदूषण के प्रकार
मूल रूप से प्रदूषण चार प्रकार का होता है, जो नीचे उल्लिखित है -
- वायु प्रदूषण (Air Pollution)
- जल प्रदूषण (Water Pollution)
- ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay)
- मृदा प्रदूषण (Soil Pollution)
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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - आइए एक करके प्रदूषण के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें:
वायु प्रदूषण : वायु प्रदूषण मुख्य रूप से वाहनों से गैस के उत्सर्जन के कारण होता है। बेहद ही हानिकारक गैस कारखानों तथा उद्योगों में उप-उत्पाद के रूप में उत्पादित होती हैं, प्लास्टिक और पत्तियों जैसे जहरीले पदार्थों को खुले में जलाने से, वाहनों के एग्जॉस्ट से, रेफ्रीजरशन उद्योग में उपयोग किए जाने वाले सीएफ़सी से वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी होती है।
हाल के दशक में बेहतर आय की वजह से भारत में सड़कों पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई है। ये सल्फर डाइऑक्साइड तथा कार्बन मोनोऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों को फैलाने के लिए भी जिम्मेदार हैं। ये गैसें पृथ्वी के वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा को कम करने के लिए जिम्मेदार हैं। इनकी वजह से सांस लेने की कई समस्याएं, श्वसन रोग, कई प्रकार के कैंसर आदि जैसी बीमारियाँ तेजी से पनप रही हैं।
जल प्रदूषण : जल प्रदूषण आजकल मनुष्यों के सामने मौजूद सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। सीवेज अपशिष्ट, उद्योगों या कारखानों आदि के कचरे को सीधे नहरों, नदियों और समुद्रों जैसे जल निकायों में डाला जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप समुद्री जीव जंतुओं के आवास का नुकसान हो रहा है और जल निकायों में घुली ऑक्सीजन का स्तर भी घट रहा है। पीने योग्य पानी की कमी जल प्रदूषण का एक बड़ा दुष्प्रभाव है। लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं जिससे हैजा, डायरिया, पेचिश आदि रोग होने का खतरा रहता है।
मृदा प्रदूषण : भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। इस काम के लिए, किसान बहुत सारे शाकनाशी, उर्वरक, कवकनाशी और अन्य समान प्रकार के रासायनिक यौगिकों का उपयोग करते हैं। इनके इस्तेमाल से मिट्टी दूषित होती है और इससे मिट्टी आगे फसल उगाने लायक नहीं रह जाती। इसके अलावा, अगर अधिकारी जमीन पर पड़े औद्योगिक या घरेलू कचरे को डंप नहीं करते हैं, तो यह भी मिट्टी के प्रदूषण में बड़ा योगदान देता है। इसकी वजह से मच्छरों के प्रजनन में वृद्धि होती है, जो डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियों का कारण बनता है। ये सभी कारक मिट्टी को विषाक्त बनाने के लिए जिम्मेदार हैं।
ध्वनि प्रदूषण : वायु प्रदूषण में योगदान देने के अलावा, भारतीय सड़कों पर बड़ी संख्या में मौजूद वाहन, ध्वनि प्रदूषण में भी भरपूर योगदान देते हैं। यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो शहरी क्षेत्रों में या राजमार्गों के पास रहते हैं। यह लोगों में चिंता और तनाव जैसे संबंधित मुद्दों का कारण बनता है।
इसके अलावा, पटाखे, कारखानों के कामकाज, लाउडस्पीकर की आवाज (विशेष रूप से समारोहों के मौसम में) आदि भी ध्वनि प्रदूषण में अपनी भूमिका निभाते हैं। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया, तो यह हमारे मस्तिष्क को भी प्रभावित कर सकता है।
अक्सर, दिवाली के त्योहार के अगले दिन मीडिया में यह बताया जाता है कि कैसे पटाखों की वजह से भारत के प्रमुख शहरों में ध्वनि प्रदूषण में वृद्धि होती है।
हालाँकि ये चार प्रमुख प्रकार के प्रदूषण हैं, जीवनशैली में बदलाव के कारण कई अन्य प्रकार के प्रदूषण भी देखे गए हैं जैसे कि रेडियोधर्मी प्रदूषण, प्रकाश प्रदूषण अन्य। यदि किसी स्थान पर अधिक या अवांछित मात्रा में मानवनिर्मित प्रकाश पैदा किया जाता है, तो यह प्रकाश प्रदूषण में योगदान देता है। आजकल, कई शहरी क्षेत्र अधिक मात्रा में अवांछित प्रकाश का सामना कर रहे हैं।
हम परमाणु युग में जी रहे हैं। चूंकि बहुत से देश अपने स्वयं के परमाणु उपकरण विकसित कर रहे हैं, इससे पृथ्वी के वातावरण में रेडियोधर्मी पदार्थों की उपस्थिति में वृद्धि हुई है। इसे रेडियोधर्मी प्रदूषण के रूप में जाना जाता है। रेडियोधर्मी पदार्थों का संचालन और खनन, परीक्षण, रेडियोधर्मी बिजली संयंत्रों में होने वाली छोटी दुर्घटनाएँ रेडियोधर्मी प्रदूषण में योगदान देने वाले अन्य प्रमुख कारण हैं।
उपयोगी लिंक्स -
- जलवायु परिवर्तन पर निबंध
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प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution in Hindi) - ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming)
ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) जलवायु परिवर्तन का प्रमुख कारक है। धरती के चारों ओर गर्मी को फंसाने वाले प्रदूषण की परत ही मुख्य कारण है, जो आजकल ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) को बढ़ा रही है। जैसे मनुष्य जब जीवाश्म ईंधन जलाते हैं, प्लास्टिक जलाते हैं, वाहन से हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जंगल अधिक स्तर पर जलाए जाते हैं, तो इनसे खतरनाक गैस का उत्सर्जन होता है।
एक बार जब यह गैस पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर जाती है, तो अंततः यह पूरे विश्व में फैल जाती है। नतीजतन, गर्मी फिर से उत्सर्जित होने के बाद अगले 50 या 100 सालों तक पृथ्वी के चारों ओर फंस जाती है। सबसे गंभीर बात यह है कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी हानिकारक गैस का स्तर खतरनाक दर से बढ़ा है। इससे आने वाली पीढ़ी सैकड़ों वर्षों तक ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) के प्रभावों को महसूस करेगी।
प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए प्रमुख कदम
पर्यावरण प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिकारियों ने कई कदम उठाए हैं। इनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल : भारत सरकार ने भारत में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर अंकुश लगाने के लिए NGT की स्थापना की थी। 2010 से जब कई उद्योग एनजीटी के आदेश का पालन करने में विफल रहे हैं, तो इसने ऐसे उद्योगों पर भारी जुर्माना लगाया। इसने कई प्रदूषित झीलों को साफ करने में भी मदद की है। इसने गुजरात में कई कोयला आधारित उद्योगों को बंद करने का भी आदेश दिया, जिससे वायु प्रदूषण में इजाफा हो रहा था।
ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत : पिछले कुछ वर्षों से, भारत सरकार लोगों को ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों की ओर जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। तमिलनाडु राज्य के निवासियों के लिए अपनी छतों पर सौर पैनल और वर्षा जल संचयन प्रणाली रखना अनिवार्य है। वैकल्पिक ऊर्जा के अन्य स्रोत जैव ईंधन, पवन ऊर्जा, जलविद्युत ऊर्जा आदि हैं।
BS-VI ईंधन : भारत सरकार द्वारा घोषणा के बाद देश अब BS-VI (भारत चरण VI) ईंधन का उपयोग करने में सक्षम है। इस नियम अस्तित्व में आने के बाद, वाहनों से सल्फर के होने वाले उत्सर्जन में 50% से अधिक की कमी आने की संभावना है। यह डीजल कारों से नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को 70% और पेट्रोल कारों में 25% तक कम करता है। इसी तरह, कारों में पार्टिकुलेट मैटर के उत्सर्जन में 80% की कमी आएगी।
वायु शोधक: वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए लोग अब वायु शोधक विशेष रूप से इनडोर में इस्तेमाल किए जाने वाले का उपयोग कर रहे हैं। एयर प्यूरीफायर हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर को साफ करते हैं, हानिकारक बैक्टीरिया को हटाते हैं और हवा की गुणवत्ता में काफी हद तक सुधार करते हैं।
प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने में यूएनओ की भूमिका
अपने बैनर के तहत, संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1972 में प्रदूषण के मुद्दे को संबोधित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की शुरुआत की गई थी। इसने जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन, पर्यावरण प्रशासन, संसाधन दक्षता आदि जैसे कई मुद्दों की तरफ आम लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इसने कई सफल संधियों को मंजूरी दी है, जैसे कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) जो गैसों के उत्सर्जन को सीमित करने के लिए सुरक्षात्मक ओजोन परत को पतला कर रहे थे, जहरीले पारा आदि के उपयोग को सीमित करने के लिए मिनामाता कन्वेंशन (2012) यूएनईपी प्रायोजित 'सौर ऋण कार्यक्रम' जहां विभिन्न देशों के लाखों लोगों को सौर ऊर्जा पैनल प्रदान किए गए थे।
प्रदूषण पर निबंध (pradushan par nibandh) - प्रदूषण पर अंकुश लगाने के विभिन्न तरीके
हालांकि विभिन्न शहरों के अधिकारी प्रदूषण के मुद्दे पर अंकुश लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। ऐसे में नागरिकों और आम लोगों का भी यह कर्तव्य है कि वे इस प्रक्रिया में अपना योगदान दें। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के कुछ महत्वपूर्ण उपाय निम्नलिखित हैं -
पटाखों का इस्तेमाल बंद करें : जब आप दशहरा, दिवाली या किसी अन्य अवसर पर त्योहार मनाते हैं, तो पटाखों का इस्तेमाल ना करें। यह ध्वनि, मिट्टी के साथ-साथ प्रकाश प्रदूषण का कारण बनता है। साथ ही इसका हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
वाहनों का प्रयोग सीमित करें : वाहन प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। वाहनों का प्रयोग कम से कम करें। यदि संभव हो, तो उन्हें व्यक्तिगत उपयोग के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों से बदलने का प्रयास करें। आने-जाने के लिए ज्यादा से ज्यादा सार्वजनिक परिवहन का प्रयोग करें।
अपने आस-पास साफ-सफाई रखें : एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह हमारा कर्तव्य होना चाहिए कि हम अपने घर के आस-पास के क्षेत्र को साफ-सुथरा रखें। हमें कचड़ा इधर-उधर फेंकने की बजाय कूड़ेदान में फेकना चाहिए।
रिसाइकल और पुन: उपयोग - कई गैर-बायोडिग्रेडेबल उत्पाद जैसे कि प्लास्टिक से बने दैनिक उपयोग की वस्तुएं हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। हमें या तो इन्हें ठीक से डिकम्पोज करना होगा या इसे रिसाइक्लिंग के लिए भेजना होगा। आजकल सरकार प्लास्टिक को रिसायकल करने के लिए बहुत सारी योजनाएं चला रही है, जहां नागरिक न केवल अपने प्लास्टिक के कचरे को दान कर सकते हैं, बल्कि अन्य वस्तुओं के बदले में इसका आदान-प्रदान भी कर सकते हैं।
पेड़ लगाएं : कई कारणों से पेड़ों की कटाई जैसे सड़कों का चौड़ीकरण, घर बनाना आदि के कारण विभिन्न प्रकार के प्रदूषण में वृद्धि हुई है। पौधे वातावरण में मौजूद कार्बन मोनोऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड आदि जैसे हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं। चूंकि वे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान ऑक्सीजन छोड़ते हैं, इसलिए हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाएं और उनकी देखभाल करें।
प्रदूषण एक ऐसी समस्या है, जिसका हमें जल्द से जल्द समाधान करने की जरूरत है, ताकि मनुष्य व अन्य जीव जन्तु, इस ग्रह पर सुरक्षित रूप से रह सकें। यह महत्वपूर्ण है कि हम इस मुद्दे के समाधान के लिए सुझाए गए उपायों का पालन करें। यह हमारी नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने घर को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएं। पृथ्वी को जीवित रखने के लिए हमें इसे प्रदूषित करना बंद करना होगा।
Frequently Asked Questions (FAQs)
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) (Air Quality Index) दैनिक आधार पर वायु गुणवत्ता की रिपोर्ट करने के लिए एक सूचकांक है।
प्रदूषण पर हिंदी में निबंध लिखने के लिए आप इस लेख को संदर्भित कर सकते हैं। इस लेख में प्रदूषण पर निबंध से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
प्रदूषण मुख्य रूप से 4 प्रकार के होते हैं, जिन्हे वायु प्रदूषण (Air Pollution), जल प्रदूषण (Water Pollution), ध्वनि प्रदूषण (Pollution Essay), मृदा प्रदूषण (Soil Pollution) के रूप में जाना जाता है।
पटाखों के इस्तेमाल पर कमी, अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, वाहनों के उपयोग पर कमी और अपने आस-पास स्वच्छता रखकर प्रदूषण में कमी की जा सकती है।
सांविधिक संगठन, केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को वर्ष 1974 में गठित किया गया था।
पर्यावरण में किसी भी पदार्थ (ठोस, तरल, या गैस) या ऊर्जा का किसी भी रूप (जैसे गर्मी, ध्वनि, या रेडियोधर्मिता) में उसके पुनर्नवीनीकरण, किसी हानिरहित रूप में संग्रहण या विघटित करने के स्तर से ज्यादा तेजी से फैलना ही प्रदूषण है। प्रदूषण उन प्रमुख मुद्दों में से एक है, जो हमारी पृथ्वी को व्यापक स्तर पर प्रभावित कर रहा है। यह एक ऐसा मुद्दा है जो लंबे समय से चर्चा में है, 21वीं सदी में इसका हानिकारक प्रभाव बड़े पैमाने पर महसूस किया गया है। हालांकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों को रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना बाकी है।
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प्रदूषण पर निबंध – Essay on Pollution in Hindi
Essay on Pollution in Hindi : दोस्तों आज हमने प्रदूषण पर निबंध लिखा है. वर्तमान में प्रदूषण के कारण मानव जीवन और अन्य प्राणियों के जीवन पर बहुत अधिक बुरा प्रभाव पड़ा है. प्रदूषण के कारण असमय मृत्यु होना तो जैसे आम बात ही हो गई है.
इसलिए प्रदूषण को रोकना बहुत आवश्यक है सभी विद्यार्थियों को प्रदूषण के बारे में जानकारी होना आवश्यक है.
इसलिए Essay on Pollution कक्षा 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 ,10, 11, 12 और कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए है. इस निबंध को हमने सभी कक्षा के विद्यार्थियों की सुविधा को देखते हुए अलग-अलग शब्द सीमा में लिखा है.
Get Some Essay on Pollution in Hindi under 100, 250, 500 and 2000 words
Short Essay on Pollution in Hindi 100 Words
प्रदूषण यह एक धीमा जहर है जो कि दिन-प्रतिदिन हमारे पर्यावरण और हमारे जीवन को नष्ट करता जा रहा है. प्रदूषण को मुख्यतः तीन भागों में बांटा गया है वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण..
वायु प्रदूषण वाहनों से निकलने वाले धुए, कल कारखानों, उड़ती हुई धूल इत्यादि कारणों से होता है. ध्वनि प्रदूषण वाहनों के हॉर्न, मशीनों के चलने से और अन्य शोर उत्पन्न करने वाली वस्तुओं से होता है.
जल प्रदूषण नदियों और तालाबों में फैक्ट्रियों का अपशिष्ट पदार्थ और प्लास्टिक कचरा व अन्य वस्तुएं डालने से होता है.
अगर हमें पर दूसरों को कम करना है तो अधिक से अधिक मात्रा में पेड़ लगाने होंगे और लोगों को प्रदूषण के प्रति जागरूक करना होगा तभी जाकर हम अच्छे भविष्य की कामना कर सकते है.
Paragraph on Pollution in Hindi 250 Words
प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन चुका है यह सिर्फ हमारे देश की नहीं यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है जिसकी चपेट में पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतु और अन्य निर्जीव पदार्थ भी आ गए है. इसका दुष्प्रभाव चारों ओर दिखाई दे रहा है.
प्रदूषण का शाब्दिक अर्थ है कि प्रकृति का संतुलन खराब होना जीवन के लिए जरूरी चीजों का दूषित हो जाना जैसे स्वच्छ जल नहीं मिलना, स्वच्छ वायु नहीं मिलना और प्रदूषित माहौल का पैदा होना.
पृथ्वी का तापमान धीरे-धीरे बढ़ रहा है और वातावरण में भी परिवर्तन आ रहा है कभी अत्यधिक वर्षा हो रही है तो कभी सूखा पड़ रहा है ऋतु परिवर्तन असमय हो रहा है जो की यह दर्शा रहा है कि भविष्य में कितनी बड़ी समस्या दस्तक दे रही है.
प्रदूषण के कारण तरह-तरह की विकराल बीमारियां जन्म ले रही है जिसे कैंसर, डायबिटीज, अस्थमा, हृदय की बीमारी इत्यादि के कारण मानव की आयु कम हो गई है.
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वर्तमान में हर घर में कोई ना कोई बीमार है और दवाईयां लेकर अपना जीवन यापन कर रहा है. प्रदूषण के कारण जीव जंतु में इसकी चपेट में आ गए हैं जीव-जंतुओं की कई प्रजातियां तो विलुप्त हो चुकी है और कुछ विलुप्त होने की कगार पर है.
हमारे जीवन प्रणाली कुछ इस प्रकार की हो गई है कि हमें पैसों और तरक्की के अलावा कुछ और दिखाई नहीं दे रहा है.
हमें प्रदूषण को बढ़ने से रोकना होगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर जीवन का नामोनिशान नहीं होगा हमें प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे पहले लोगों को जागरूक करना होगा.
किसी भी प्रकार के प्रदूषण को अगर कम करना है तो हमारा पहला कदम पेड़ों की कटाई रोकना होना चाहिए और जितना हो सके पेड़ लगाने होंगे.
Paryavaran Pradushanpar Nibandh 500 Words
प्रस्तावना –
वर्तमान में प्रदूषण ने बहुत ही विकराल रूप धारण कर लिया है. इसके कारण बड़े महानगरों में जीवन बहुत कठिन हो गया है यहां पर हर दिन कोई ना कोई नई बीमारी जन्म ले रही है.
प्रदूषण इतनी तेजी से फैल रहा है कि आजकल तो ऐसा लग रहा है कि यह हमारे जीवन का हिस्सा सा बन गया है. प्रदूषण के कारण केवल मनुष्य का ही जीवन प्रभावित नहीं हुआ है इसके कारण वन्य जीव जंतुओं और पृथ्वी के वातावरण में भी बदलाव आया है.
प्रदूषण के प्रकार –
प्रदूषण को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार मुख्यतः तीन भागों में बाटा गया है इसके अलावा भी बहुत प्रकार के प्रदूषण होते है –
वायु प्रदूषण – हवा में प्रदूषित कारको के मिश्रण के कारण वायु प्रदूषण होता है वायु प्रदूषण के मुख्य स्त्रोत मोटर वाहनों से निकलने वाला धुआं, कल कारखानों और चिमनीओं से निकलने वाला धुआं, धूल उड़ने से, वस्तुओं के सड़ने से उत्पन्न हुई दुर्गंध, पटाखों इत्यादि कारणों से वायु प्रदूषण फैलता है.
जल प्रदूषण – जल में कई प्रकार के हानिकारक केमिकल्स, जीवाणु इत्यादि मिलने के कारण जल प्रदूषण होता है जल प्रदूषण के मुख्य स्रोत फैक्ट्री और कारखानों से निकलने वाला प्रदूषित जल का नदियों और तालाबों में मिलना, गटर लाइन को नदियों में छोड़ना, जल में प्लास्टिक और अन्य अपशिष्ट पदार्थ डालने के कारण जल प्रदूषण फैलता है.
ध्वनि प्रदूषण – सुनने की एक सीमा से अधिक तीखी और असहनीय आवाज ध्वनि प्रदूषण की श्रेणी में आता है. ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्रोत – लाउडस्पीकर, वाहनों का हॉर्न, मशीनों की आवाज, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि है जिसके कारण ध्वनि प्रदूषण फैलता है.
प्रदूषण की रोकथाम के उपाय –
वायु प्रदूषण को रोकने के लिए नहीं अधिक मात्रा में पेड़ लगाने चाहिए साथ ही जहां पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई हो रही है वहां पर रोक लगानी चाहिए. वायु प्रदूषण को फैलाने वाले उद्योग धंधों को नई तकनीक अपनानी चाहिए जिससे कम प्रदूषण हो.
जल प्रदूषण को कम करने के लिए हमें साफ सफाई की ओर अधिक ध्यान देना होगा हम नदियों तालाबों में ऐसे ही कचरा डाल देते है. जल प्रदूषण के लिए जो भी फैक्ट्रियां और कारखाने जिम्मेदार है उनको बंद कर देना चाहिए.
ध्वनि प्रदूषण अधिकतर मानव द्वारा ही किया जाता है इसलिए अगर हम स्वयं हॉर्न बजाना बंद कर दें और मशीनों की नियमित रूप से अगर देखभाल करें तो उन से आवाज नहीं आएगी और ध्वनि प्रदूषण में कमी आएगी.
उपसंहार –
हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण जिस तरह से बढ़ रहा है आने वाले कुछ सालों में यह विनाश का रूप ले लेगा, अगर जल्द ही प्रदूषण को रोकने के लिए कुछ सख्त नियम नहीं बनाए गए तो हमारी पृथ्वी का पूरा वातावरण खराब हो जाएगा और हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है.
अगर हमें प्रदूषण को कम करना है तो सर्वप्रथम हमें स्वयं को सुधारना होगा और लोगों को प्रदूषण के कारण हो रही हानियों के बारे में अवगत कराना होगा.
जब तक हमारे पूरे देश के लोग जागरुक नहीं होंगे तब तक किसी भी प्रकार के प्रदूषण को कम करना मुमकिन नहीं है.
Essay on Pollution in Hindi 2000 Words
रूपरेखा –
प्रदूषण आज भारत की ही नहीं संपूर्ण विश्व की समस्या है बढ़ते हुए प्रदूषण को देखकर सभी देश इससे चिंतित है. आज संसार की लगभग सभी वस्तुएं चाहे वह सजीव है या निर्जीव किसी न किसी रूप में प्रदूषित होती जा रही है.
जल, वायु, मृदा तथा संपूर्ण भूमंडल प्रदूषण की चपेट में आ गया है. आए दिन प्रदूषण के कारण कोई ना कोई समस्या या फिर नई बीमारियां उत्पन्न होती रहती है.
कारखानों से गैस रिसने, परमाणु संयंत्रों से रेडियोधर्मिता के बढ़ने, नदियों, तालाबों, समुद्रों में कारखानों और फैक्ट्रियों से निकले विषाक्त केमिकल्स और गंदे पानी के मिलने से पूरा वातावरण प्रदूषित हो रहा है.
आज हम सिर्फ अपनी प्रगति की ओर ध्यान दे रहे है लेकिन प्रकृति की जरा भी चिंता नहीं कर रहे है. विज्ञान ने आज बहुत तरक्की कर ली है लेकिन प्रदूषण को रोकने में आज भी सफल नहीं हो पाई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्व के सभी देशों को बार-बार चेतावनी दी जा रही है लेकिन फिर भी प्रदूषण के बढ़ने पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जा रही है.
हमारे भारत देश को तो जात-पात और आरक्षण से ही फुर्सत नहीं मिल रही है तो वह पर्यावरण के बारे में क्या सोचेगा.
प्रदूषण क्या है –
हमारे स्वच्छ वातावरण में किसी भी प्रकार की गंदगी का घूमना प्रदूषण की श्रेणी में आता है प्रदूषण कई प्रकार का होता है जैसे जल, हवा, ध्वनि, मृदा प्रमुख है.
इनमें से अगर कोई भी घटक प्रदूषित होता है तो उसका सीधा असर पृथ्वी पर रहने वाले सभी जीव जंतुओं, मनुष्यों और निर्जीव वस्तुओं पर बुरा असर पड़ता है.
प्रदूषण के प्रकार और दुष्प्रभाव –
जल प्रदूषण –
वर्तमान में जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है वर्तमान में हमारे सभी प्रमुख नदियां जैसे गंगा यमुना चंबल इत्यादि सभी गंदगी से अटी पड़ी है इनमें तरह-तरह का प्लास्टिक और अन्य कचरा पड़ा हुआ है.
कुछ स्थानों पर तो ऐसा लगता है कि नदी में जल की जगह कचरा बह रहा है, कुछ लोग अपनी नित्य क्रिया, कपड़े धोने, जानवरों को नहलाना भी नदियों के पास करते है जिसके कारण उनका जल दूषित हो जाता है.
इससे भी बड़ी चिंता का विषय यह है कि कल कारखानों और फैक्ट्रियों से निकला जहरीला और केमिकल युक्त पानी भी नदियों और तालाबों में छोड़ दिया जाता है.
एक ताजा आंकड़े के अनुसार हमारे देश में प्रदूषित जल पीने की वजह से प्रति घंटे लगभग 73 लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.
जल प्रदूषण को बढ़ाने में हमारी सरकारें भी कम नहीं है क्योंकि गटर से निकलने वाला पानी अक्सर नदियों और समुद्रों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण पूरा जल प्रदूषित हो जाता है.
जो जल को जहरीला बना देता है जिसके कारण नदी में रहने वाले जीवों का जीवन संकट में पड़ जाता है और यही जहरीला जल हमें पीने को मिलता है जिसके कारण तरह-तरह की बीमारियां फैलती है.
वायु प्रदूषण –
वायु प्रदूषण चिंता का विषय है क्योंकि विश्व में सबसे विश्व में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषित शहरों की सूची में शीर्ष दश में हमारे देश के ही शहर आते है.
इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे देश में वायु प्रदूषण किस तेजी से बढ़ रहा है. हमारे देश में हर साल वायु प्रदूषण की वजह से 12.4 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है और यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता ही जा रहा है.
वायु प्रदूषण सामान्यतः वाहनों से निकलने वाले धुएं, कल कारखानों और चिमनियो का धुँआ, कोयले का धुँआ, घरों से निकलने वाला धुआं, फसलों की पराली जलाने से निकला धुँआ इत्यादि वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण है.
वायु प्रदूषण का एक अन्य प्रमुख कारण यह भी है कि दिन प्रतिदिन पेड़ों की अंधाधुंध कटाई की जा रही है और शहरीकरण बढ़ रहा है जिसके कारण वायु प्रदूषण बढ़ रहा है.
वायु प्रदूषण के कारण अस्थमा कैंसर चर्म रोग आंखों में जलन हृदय संबंधी बीमारियां हो जाती है जिसके कारण मानव और अन्य जीव जंतुओं की असमय मृत्यु हो जाती है.
वायु प्रदूषण से हमारा वातावरण भी प्रभावित होता है पेड़ पौधे मुरझा जाते है जिसके कारण और अत्यधिक वायु प्रदूषण होने लग जाता है
ध्वनि प्रदूषण –
ध्वनि प्रदूषण लाउडस्पीकर, हॉर्न, वाहनों की खड़ खड़ाहट, मशीनों की आवाज, हवाई जहाज की आवाज, कंस्ट्रक्शन का कार्य, बादलों की गड़गड़ाहट इत्यादि कारणों से ध्वनि प्रदूषण होता है,
लेकिन ध्वनि प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत मानव जनित कार्यों से ही होता है. मानव अगर सीमित ध्वनि से ज्यादा की आवाज में अधिक समय तक रहता है तो वह बहरा भी हो सकता है साथ ही वह अपना मानसिक संतुलन भी हो सकता है.
वर्तमान में लोग हर जगह शादियों, पार्टियों, किसी भी प्रकार के प्रचार में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करते हैं जो कि ध्वनि प्रदूषण को बहुत अधिक बढ़ा देता है.
ध्वनि प्रदूषण के कारण बच्चे और बूढों को अधिक परेशानी होती है. ध्वनि प्रदूषण जीव-जंतुओं की दिन-प्रतिदिन की दिनचर्या को भी प्रभावित करता है.
मृदा प्रदूषण –
मृदा प्रदूषण का मुख्य कारण मानव के द्वारा किए गए कार्य ही हैं क्योंकि मानव अपनी थोड़े से लोभ के लिए प्रत्येक प्रकार के प्रदूषण को बढ़ावा देता है.
मानव फैक्ट्रियों और कल कारखानों से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ या तो मृदा में गाड़ देते है या फिर ऐसे ही फेंक देते है जिसके कारण वहां की भूमि धीरे धीरे बंजर होने लग जाती है.
वर्तमान में प्लास्टिक के कारण बहुत अधिक मृदा प्रदूषण हो रहा है क्योंकि प्लास्टिक से हर वक्त जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो की पूरी भूमि को जहरीला बना देते है.
खेतों में इस्तेमाल होने वाली यूरिया खादो का उपयोग भी बहुत अधिक बढ़ गया है जिसके कारण भूमि प्रदूषित हो जाती है.
इन सब का असर मानव स्वास्थ्य पर ही होता है क्योंकि भूमि से उत्पन्न होने वाला अनाज और सब्जियों में जहरीले केमिकल्स मिल जाते है जिससे मानव स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसीलिए आज तरह-तरह की बीमारियां फैल रही है.
प्रकाश प्रदूषण –
दिन और रात प्राकृतिक क्रिया है अगर इनमें कोई बदलाव आता है तो वह पूरी प्रकृति को प्रभावित करता है. वर्तमान में विज्ञान की प्रगति के कारण बिजली का बहुत अधिक उपयोग हो रहा है.
और आजकल अधिक रोशनी वाली लाइटो का उपयोग किया जाता है जिसके कारण रात में भी दिन जैसा लगता है. बढ़ते हुए शहरीकरण के कारण रात में भी बहुत अधिक उजाला रहता है. जिसके कारण वन्य जीव जंतुओं को बहुत अधिक परेशानी होती है उनकी पूरी दिनचर्या इसके कारण बिगड़ जाती है. प्रकाश प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है इसके कारणों से पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती है.
रेडियोधर्मिता प्रदूषण –
रेडियोएक्टिव विकिरणों से फैलने वाला प्रदूषण रेडियोधर्मिता प्रदूषण कहलाता है. यह प्रदूषण आंखों से दिखाई नहीं देता लेकिन स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक खतरनाक होता है.
इसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति या अन्य कोई जीव जंतु कि कुछ ही समय में मृत्यु हो जाती है.
यह प्रदूषण सामान्यत है परमाणु बम, परमाणु बिजली घर से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थ से होता है. यह प्रदूषण जहां भी फैलता है वहां पर जीवन का नामोनिशान मिट जाता है.
थर्मल प्रदूषण –
वर्तमान में थर्मल प्रदूषण बहुत अधिक तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि जैसे जैसे लोगों की जरूरत है बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे तरह-तरह की फैक्ट्रियां लग रही है जिनमें जल का उपयोग कई प्रकार के पदार्थों और अन्य वस्तुओं को ठंडा रखने में किया जाता है.
जिसके कारण वह जल बहुत अधिक गर्म हो जाता है और वह सीधा नदियों में छोड़ दिया जाता है जिसके कारण अचानक जल के तापमान में बदलाव हो जाता है. इससे नदियों में रहने वाले जीवो की मृत्यु हो जाती है.
प्रदूषण संतुलन के उपाय –
पेड़ लगाना –
हमारी पृथ्वी को अगर प्रदूषण से बचाना है तो हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे और जो भी लोग पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर रही है उन पर सख्त कार्रवाई करते हुए उन्हें रोकना होगा.
पेड़ कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करते हमें ऑक्सीजन देते हैं अगर पेड़ ही नहीं होंगे तो हमें ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और हमारा जीवन समाप्त हो जाएगा.
आज ही प्रण ले अपने हर जन्मदिन पर कम से कम एक पेड़ जरूर लगाएं.
प्लास्टिक का उपयोग बंद करना –
वर्तमान में हमारे जीवन के साथ प्लास्टिक कैसे जुड़ गया है जैसे जल और हवा हो, हर वस्तु में प्लास्टिक का उपयोग हो रहा है. प्लास्टिक से हजारों वर्षों तक जहरीले पदार्थ निकलते रहते है जो कि जल, वायु एवं पूरे वातावरण को प्रदूषित करता है.
हमें प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा, सरकार भी प्लास्टिक पर पाबंदी लगा रही है लेकिन जब तक हम जागरूक नहीं होंगे तब तक प्लास्टिक का उपयोग बढ़ता रहेगा.
कार पुलिंग को बढ़ावा दे –
वाहनों की संख्या बढ़ने के कारण ईंधन की खबर भी बहुत अधिक हो गई है और इसके कारण अधिक मात्रा में वायु प्रदूषण हो रहा है. आजकल हर व्यक्ति अपना वाहन लेकर चलता है जो कि वायु प्रदूषण की समस्या को और बढ़ा देता है.
अगर हम पब्लिक वाहनों का उपयोग करें और अगर एक ही ऑफिस में जाते हैं तो एक कार में ही बैठकर जाएंगे से ईंधन की बचत होगी और वायु प्रदूषण भी कम होगा.
ऊर्जा का सही इस्तेमाल करें –
हमें ऊर्जा का सही इस्तेमाल करना होगा बिना वजह ऊर्जा का उपयोग करने से हर प्रकार का प्रदूषण घटता है क्योंकि जितने भी प्रकार के हम इंजन देखते है उन्हें बनाने में बहुत प्रदूषण फैलता हैऔर अपशिष्ट पदार्थ भी निकलता है जो कि जहरीला होता है.
नदियों को साफ करें –
हम सबको मिलजुल कर नदियों तालाबों और समुद्रों को साफ करना होगा, क्योंकि वही से हमें पीने के लिए जल मिलता है और अन्य प्राणियों को भी जल मिलता है.
अगर यही जल जहरीला होने लगा तो तरह-तरह की बीमारियां फैल जाएंगी जो की महामारी का रूप भी ले सकती है इसलिए हमें कूड़ा करकट नदियों और तालाबों में नहीं डालना चाहिए.
वाहनों/मशीनों का रखरखाव पर ध्यान दें –
वाहनों और मशीनों का रखरखाव करना बहुत जरूरी है अगर इनका रखरखाव नहीं किया जाए तो इनसे बहुत अधिक मात्रा में ध्वनि प्रदूषण के साथ-साथ वायु प्रदूषण भी होता है.
हम कुछ रुपए बचाने के लिए अपने पर्यावरण को प्रदूषित कर देते है यह बहुत ही चिंता का विषय है इसलिए हमेशा समय समय पर वाहनों और मशीनों का रखरखाव जरूरी है.
यूरिया खाद का उपयोग कम करे –
किसानों द्वारा खेतों में अधिक पैदावार के लिए यूरिया खाद का उपयोग किया जा रहा है जो की फसल की पैदावार तो अच्छी कर देती है लेकिन भूमि को बंजर कर देती है और साथ ही उस फसल में भी कई प्रकार के जहरीले पदार्थ आ जाते है.
जो सीधे हमारे शरीर में जाते हैं और हमारा स्वास्थ्य बिगड़ जाता है इसलिए किसानों को यूरिया खाद का उपयोग कम करना चाहिए और प्राकृतिक खाद का उपयोग करना चाहिए.
कड़े नियम कानून बनाएं –
भारतीय सरकार ने प्रदूषण को रोकने के लिए कई कानून बनाए हैं लेकिन उन कानूनों कि सही से पालना नहीं होने के कारण प्रदूषण बढ़ रहा है इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानूनों की पालना सही से हो रही है या नहीं.
भारतीय सरकार को प्रदूषण के खिलाफ और कड़े कानून बनाने चाहिए क्योंकि अगर प्रकृति ही नहीं रहेगी तो हम भी नहीं रहेंगे इसलिए पर्यावरण को बचाना बहुत जरूरी है.
प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाएं –
हम सबको मिलजुल कर प्रदूषण के प्रति जागरुकता फैलाने होगी क्योंकि ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग यह जानते हैं कि क्या करने से प्रदूषण फैलता है फिर भी वे इस और ध्यान नहीं देते और प्रदूषण फैलाते है.
हमें लोगों को समझाना होगा कि अगर हम यूं ही प्रदूषण फैलाते रहे तो आगे आने वाली पीढ़ी का जीवन मुश्किल में पड़ जाएगा. साथ ही प्रदूषण के कारण हमारा पूरा पर्यावरण भी नष्ट हो रहा है.
इसलिए हमें शहर शहर गांव गांव जाकर लघु नाटको और अन्य तरीकों से लोगों को प्रदूषण के बारे में बताना होगा तभी जाकर प्रदूषण को रोका जा सकता है.
हमारे देश में पर्यावरण प्रदूषण के निराकरण के लिए सरकार ने कई कदम उठाए है, हमारी सरकार ने मध्य प्रदेश में प्रदूषण संस्थान की स्थापना की है जोकि प्रत्येक वर्ष सरकार को प्रदूषण संबंधी जानकारियां देंगी.
जो भी व्यक्ति या संस्थान प्रदूषण बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है उन पर सख्त कार्यवाही की जा रही है. वर्तमान में छोटे छोटे शहरों में भी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाए जा रहे है. साथ ही प्रत्येक वर्ष वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाए जा रहे.
अगर हम सब भी पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सहयोग करें तो वह दिन दूर नहीं जब पर्यावरण में संतुलन आ जाएगा और मानव जीवन के साथ साथ अन्य प्राणियों का जीवन भी खतरे से बाहर हो जाएगा.
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प्रदूषण पर निबंध | Essay on Pollution in Hindi 500 Words | PDF
Essay on pollution in hindi.
Essay on Pollution in Hindi 500 + Words (Download PDF) प्रदूषण पर निबंध कक्षा 5, 6, 7, 8, 9, 10 के लिए। – प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं। प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है, तो आइये इस निबंध के माध्यम से हम तीन प्रकार के प्रमुख प्रदुषण के बारे में जानते है – Essay on Pollution in Hindi
मनुष्य ने अपने सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति पर विजय पाने के लिए उसके संतुलन को बिगाड़ना शुरू कर दिया है। प्रकृति पर हमला करने के लिए मनुष्य को विभिन्न रोगों के रूप में दंड मिला है। प्राचीन काल में जब मनुष्य और प्रकृति एक थे, तब शायद कोई बीमारी नहीं थी।
धीरे-धीरे जैसे-जैसे प्रकृति का संतुलन बिगड़ता गया, बीमारियां भी बढ़ती गईं। आज विज्ञान ने ऐसे उद्योगों, कारखानों, औजारों को जन्म दिया है, जिन्होंने प्रकृति के तत्वों में विकार पैदा हो गए हैं। प्रकृति के हर तत्व में प्रदूषण पैदा कर मनुष्य ने अपने लिए समस्याएं खड़ी कर लिया हैं।
प्रदूषण का मतलब
पृथ्वी के आवरण वायु, जल आदि में गतिशील परिवर्तन पर्यावरण है, जो आपस में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखता है। मानव शरीर को शुद्ध हवा और पानी की जरूरत होती है। मानव कान सीमित ध्वनि सुन सकता है। सभी इंद्रियां सीमित अनुभव करती हैं। यदि उन सभी में विकार उत्पन्न होता है, तो वे हमारे लिए प्रदूषण हैं।
आज वैज्ञानिक आविष्कारों ने प्रकृति की देन में एक भयानक अव्यवस्था पैदा कर दी है। वायु, जल, ध्वनि आदि हमारे दैनिक जीवन के लिए प्रदूषित हो गए हैं। अत्यधिक ध्वनि और प्रकाश कान और आंखों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन सभी को इस तरह से दूषित करना प्रदूषण कहलाता है। आज प्रदूषण इतना अधिक हो गया है कि यह हमारे लिए एक भयानक और मुख्य समस्या बन गया है।
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वैसे तो प्रदूषण कई प्रकार के होते है, लेकिन उनमें से तीन प्रमुख प्रदूषण हैं – जल, वायु और ध्वनि प्रदूषण।
प्रकृति ने हमें एक आवश्यक उपहार जल दिया है जिसके बिना हम लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकते हैं। हमारी नदियों में शुद्ध पानी बह रहा है। शुद्ध जल पृथ्वी के नीचे जमा हो रहा है। प्रकृति के सभी जल स्रोत मनुष्य के लिए बिल्कुल शुद्ध बने हुए हैं।
मनुष्य ने जल को भी शुद्ध नहीं रहने दिया है। पानी का मुख्य स्रोत नदी में नालों के माध्यम से शहरों और कस्बों का गन्दा पानी डाला जाता है। कारखानों और फैक्ट्रियों का पानी नदियों में डाला जाता है, जिससे नदियों का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि बिना सफाई के नहीं पिया जा सकता।
वायु प्रदुषण
प्रकृति ने हवा को बिल्कुल शुद्ध बनाया था, लेकिन आजकल परिवहन के साधन इतने बढ़ गए हैं कि वे हर समय जहरीला धुआं छोड़ते हैं जो वातावरण को प्रदूषित करता है। कारखानों, उद्योगों और व्यवसायों के विकास ने वायु प्रदूषण को इतना बढ़ा दिया है कि सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है।
बड़े महानगरों में शाम के समय इतना वायु प्रदूषण होता है कि चारों तरफ धुंआ भर जाता है, जिसका असर सांस लेने की प्रक्रिया के साथ-साथ आंखों पर भी पड़ता है। प्रकृति द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण आवश्यक उपहार को मनुष्य ने इतना खराब कर दिया है कि आज यह एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके लिए दुनिया के वैज्ञानिक भी चिंतित हैं।
ध्वनि प्रदूषण
आज विज्ञान ने लाउडस्पीकर के आविष्कार से ध्वनि को प्रदूषित कर दिया है। बसों, कारों, ट्रेनों और अन्य साधनों की आवाज़ ने बहुत अधिक ध्वनि प्रदूषण पैदा किया है। शहरों में कई संगीत वाद्ययंत्र भी एक बड़ी कर्कश ध्वनि बनाते हैं।
इसके अलावा मंदिरों, मस्जिदों और गुरुद्वारों से भी तेज ध्वनि प्रदूषण होता है। ध्वनि प्रदूषण हमारे शरीर के कोमल ऊतकों को प्रभावित करता है। कानों पर बुरा असर पड़ता है। सिरदर्द और भारीपन बना रहता है। इस प्रकार ध्वनि प्रदूषण के कारण अनेक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोग उत्पन्न होते हैं।
ये भी देखें – Essay on environmental pollution in Hindi
इस समय सबसे बड़ी समस्या वायु प्रदूषण है, जिससे सब कुछ दूषित हो रहा है। वायु प्रदूषण को रोकना नितांत आवश्यक है। यदि वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयास नहीं किए गए, तो दुनिया में आपदा आ जाएगी। इसलिए वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सबसे पहले हमें प्रकृति के श्रृंगार के रूप में पेड़ों की कटाई को रोकना होगा। पेड़ इंसान के सबसे अच्छे दोस्त होते हैं जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। इसलिए हर क्षेत्र में पौधरोपण करना चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ लगाकर वायु प्रदूषण से बचना चाहिए।
उद्योग और कारखाने बस्ती से दूर रहें। इलेक्ट्रिक ट्रेनों, बसों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। शहरों में इलेक्ट्रिक रेलवे का विस्तार किया जाना चाहिए। नदियों के पानी को शुद्ध रखने के लिए गंदे पानी की नालियों को खेतों में डाल देना चाहिए। ध्वनि प्रसारण उपकरणों की आवाज कम कर देनी चाहिए। इस संबंध में सरकार और वैज्ञानिकों को हमेशा जागरूक रहना चाहिए और लोगों में भी जागरूकता फैलानी चाहिए।
शुद्ध वायु, शुद्ध जल, शुद्ध भोजन, शुद्ध मौसम मनुष्य के लिए आवश्यक तत्व हैं। आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति को अपने-अपने स्थान पर प्रदूषण रोकना चाहिए। हम अपने दैनिक जीवन के स्वार्थ के लिए प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ाने में भी सहायक होते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार पौधे लगाने चाहिए। अनावश्यक पेड़ नहीं काटे जाने चाहिए। गंदगी फैलाने की कोशिश न करें।
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Q&A. on Pollution in Hindi
प्रदूषण का कारण क्या है.
उत्तर – वायु प्रदूषण विभिन्न प्रकार के गैसों का मिश्रण होता है जो कार और ट्रक ,कारखानों, धूल, पराग, मोल्ड बीजाणुओं, ज्वालामुखियों और जंगल की आग से फैलती हैं।
हम प्रदूषण को कैसे कम कर सकते हैं?
उत्तर – प्रदूषण को कम करने के कई उपाय है जैसे –
- सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना।
- पटाखों के प्रयोग से बचें।
- उपयोग में न होने पर लाइट बंद कर दें।
- एयर कंडीशनर की जगह पंखे का प्रयोग करें।
- प्लास्टिक बैग को नहीं।
- रीसायकल और पुन: उपयोग।
- चिमनी के लिए फिल्टर का प्रयोग करें।
- जंगल की आग और धूम्रपान में कमी।
प्रदूषण पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर रहा है?
उत्तर – वायु प्रदूषण मनुष्य के अलावा फसलों और पेड़ों को भी कई तरह से नुकसान पहुंचता है। प्रदुषण से कृषि फसल और वाणिज्यिक वन उपज में कमी, पेड़ के पौधों की वृद्धि और जीवित रहने की क्षमता कम हो हो जाती है।
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प्रदूषण पर निबंध हिंदी में | Essay on Pollution in Hindi : वर्तमान समय में प्रदूषण से पूरे विश्व के लोग परेशान है एवं इससे होने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं इन समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए विश्व के सभी देश कई सारे उपाय का व्यवस्था कर रहे हैं |
जिससे प्रदूषण पर रोक लगाया जा सके विभिन्न देशों की तरह हमारा देश भी प्रदूषण समस्या से मुक्ति पाने के लिए कई सारे उपाय कर रहे हैं सबसे पहले हम जानेंगे प्रदूषण क्या होता है
साथ ही साथ साथ प्रदूषण के प्रकार इससे होने वाले प्रभाव एवं इसके रोकथाम से संबंधित जानकारी को इस आर्टिकल में मैं आप लोगों को दूंगा एवं प्रदूषण पर निबंध लिखने की प्रक्रिया के बारे में बताएंगे इसलिए आप लोगों से निवेदन है कि हमारी इस आर्टिकल को पूरा अंत तक पढ़े-
प्रदूषण पर निबंध (300 शब्द) Pradushan Par Nibandh
कुछ वर्ष पहले जब हम लोग अपने किसी परिवार के घर जाते थे तो वहां चारों तरफ हरियाली, एवं पेड़ पौधे एवं चिड़ियों का आवाज करना यह सारी चीज देखने को मिलती थी और मैदाने में एवं बगीचों में हम लोग खेलते थे वर्तमान समय में यह सब सारी चीज देखने को बहुत कम मिलती है
इस तरह के दृश्य अभी के बच्चों के लिए सपना ही हो गया पर्यावरण का निर्माण पेड़ पौधे जीव जंतु, पशु पक्षी, मनुष्य, जल, हवा, भूमि आदि मिलकर होता है इन सभी का पर्यावरण में एक महत्वपूर्ण स्थान है
प्रदूषण का प्रभाव
प्रदूषण का पृथ्वी के प्रत्येक वर्ग जीव जंतु मनुष्य एवं हर एक प्राणी पर हानिकारक प्रभाव होता है वातावरण में प्रदूषण होने के कारण मानव शरीर को विभिन्न तरीकों से हानिकारक प्रभाव करता है पर्यावरण में बढ़ती प्रदूषण के कारण मनुष्य का शरीर विभिन्न रोगों का शिकार हो रहा है बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी वर्ग इस प्रदूषण के प्रभाव के चपेट में है
प्रदूषण के कारण हवा पानी भूमि सभी प्रदूषित हो गए हैं जिसके कारण हम लोगों को स्वच्छ पानी नहीं मिल पाता है और यह दूषित पानी पीने से हमें कई तरह के रोग होते हैं
विभिन्न प्रकार के कल कारखानों से रासायनिक धुएं निकलती है जो हवा के साथ मिल जाती है और जब हम लोग सांस लेते हैं तब वही हवा हमारे शरीर में हृदय रूपी रोग उत्पन्न करती है
हम लोग के द्वारा जगह-जगह कचरा फेंकी जाती है जिसके कारण मच्छर एवं मक्खियों का जन्म होता है और जिनके काटने से हमें कई प्रकार के रोग होते हैं
अगर हम लोगों को अपने भविष्य के पीढ़ी के जीवन को सुरक्षित करना है तो उन्हें एक स्वच्छ पर्यावरण देना होगा इसके लिए हम लोगों को प्रकृति के द्वारा दिए गए संसाधनों का सही उपयोग करना होगा प्रदूषण पर नियंत्रण करना या हमारे देश के नहीं बल्कि पूरे पृथ्वी हे लोगो की कार्य है ताकि पृथ्वी पर आने वाले पीढ़ी आरामदायक जीवन यापन कर सके |
प्रदूषण पर निबंध (500 शब्द) | Essay on Pollution in Hindi
सौरमंडल में कई प्रकार की ग्रह उपलब्ध होते हैं लेकिन पृथ्वी एक ऐसा ग्रह है जिसमें हवा मिट्टी पानी जैसी प्राकृतिक संसाधन उपलब्ध होते हैं इनका खराब तरीके से उपयोग करने का मतलब अपने जीवन को खतरे में डालने के बराबर है दिन प्रतिदिन प्रदूषण की मात्रा बढ़ती ही जा रही है अर्थात आपको अगर प्रदूषण पर कंट्रोल करना होगा तो सभी मनुष्य को एक साथ मिलकर अपना योगदान देना होगा
प्रदूषण पर्यावरण के कारण
प्रदूषण पर्यावरण के कुछ मुख्य कारण नीचे दिए गए हैं इसको अपने ध्यानपूर्वक पढ़े:-
1- आधुनिकीकरण : वर्तमान समय में दिन प्रतिदिन आधुनिकीकरण बड़ी तेजी के साथ हो रहा है लेकिन इसके नकारात्मक प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ रहा है
2- वनों की कटाई : वर्तमान समय में वनों की कटाई बड़ी तेजी के साथ हो रही है इसका मुख्य कारण है जनसंख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण पेड़ पौधों की कमी दिन पर दिन होती जा रही है और पेड़ पौधे ही पर्यावरण को शुद्ध करते हैं क्योंकि पेड़ के पर्यावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता है और ऑक्सीजन को निकलते हैं
3- प्राकृतिक कारण : कभी-कभी पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदाएँ होती है जैसे कि मलाशय, बाढ़, भूकंप आदि| इन सभी आपदाओं के कारण प्रदूषण बढ़ता है इन आपदाओं के कारण वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, आदि होते हैं
4- परिवहन विस्तार : वर्तमान समय आप लोग देख रहे होंगे कि परिवहन का विस्तार जल मार्ग वायु मार्ग सड़क मार्ग तीनों मार्गो में भारी मात्रा में हुआ है जिसके कारण इन परिवारों के द्वारा जो धुएं निकलते हैं उन दिनों से हमारा वायु प्रदूषण होता है और यह प्रक्रिया दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसके कारण हम लोग के सामने एक बहुत बड़ा संकट पर्यावरण प्रदूषण उत्पन्न हुआ है
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय अथवा सुझाव
पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के उपाय अथवा सुझाव कुछ इस प्रकार है जिसके द्वारा आप लोग पर्यावरण प्रदूषण को रोकने में कुछ हद तक सफल रहेंगे जो निम्न है:-
● जंगलों के कटाई पर रोक लगनी चाहिए
● गंदी बस्तियों पर रोक लगनी चाहिए उचित आवास का व्यवस्था कर देनी चाहिए
● वृक्षारोपण के लिए लोगों के अंदर जागरूकता पैदा करना होगा
● पर्यावरण प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार के नियम लागू करनी चाहिए
● पर्यावरण संबंधित शिक्षा स्कूलों में आरंभ करनी चाहिए
● साइकिल को प्राथमिकता देनी चाहिए
● खेतों में रासायनिक खादो का उपयोग काम करके जैविक खेती को बढ़ावा देना चाहिए
पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव
पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव हमारे जीवन में काफी घातक हो सकते हैं पर्यावरण प्रदूषित होने से हमें सांस लेने में समस्या होगी जिसके लिए हम लोगों को प्रत्येक व्यक्ति को हमेशा अपने साथ ऑक्सीजन किट लेकर घूमना पड़ेगा स्वच्छ पानी पीने के लिए हमें भारी मात्रा में इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी
इसके अलावा मनुष्य का जीवन काल कम हो जाएगा और साथ ही साथ कई खतरनाक बीमारियों का शिकार भी हो जाएंगे हमें अपने जीवन यापन करने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा
पर्यावरण में बढ़ता प्रदूषण किसी देश विशेष की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है वर्तमान समय में नए-नए आधुनिकीकरण के कारण हमें तो आराम एवं आनंददायक महसूस होता है लेकिन दूसरी तरफ इसका प्रभाव काफी खतरनाक है क्योंकि इसके द्वारा हमारा परिवार में प्रदूषण बढ़ते जा रहे हैं इसलिए हम सभी को मिलकर इस पर्यावरण में प्रदूषण को रोकने के लिए उचित कदम उठानी होगी
प्रदूषण पर हिंदी निबंध (750 शब्द) | Hindi Essay On Pollution
प्रकृति के द्वारा हम लोगों को कई तरह के संसाधन प्राप्त हुए हैं जैसे इनमें पेड़ पौधे,वायु, जल, नदिया, पहाड़ ,जंगल, पशु पक्षी, जीव जंतु, आदि आते हैं इन सभी संसाधनों का सुरक्षा करना हम लोगों का यानी मनुष्य का कर्तव्य है हम लोग इन प्राकृतिक संसाधनों के साथ जैसा व्यवहार करेंगे वैसा फल मिलेगा अगर हम लोग इन प्राकृतिक संसाधनों के साथ खराब व्यवहार करेंगे तो प्रदूषण बढ़ेगा और इस पृथ्वी पर निवास कर रहे हैं प्रत्येक वर्ग के लोगों को इसका भुगतान करना पड़ेगा
प्राकृतिक आपदाओं एवं घटनाओं एवं महामारियों के लिए मनुष्य ही जिम्मेदार है क्योंकि यह सारी चीज प्रदूषण के कारण होती है उदाहरण के लिए मैं आप लोगों को कोरोना जैसी महामारी बीमारी का उदाहरण लेते हैं जब हमारे देश में कोरोना का संकट था तब उसे समय हमारे देश की सभी फैक्ट्री ,कल कारखाने ,यातायात के साधन अर्थात वाहन, बंद थी तब उसे समय हमारे देश का प्रदूषण काफी हद तक कम हो गया था अर्थात हम कह सकते हैं अगर हम प्राकृतिक संसाधनों का सुरक्षा करेंगे तभी प्राकृतिक संसाधन हमारी सुरक्षा करेगी
प्रदूषण क्या है ? What is Pollution
प्रदूषण क्या है मैं आप लोगों को सरल भाषा में बताता हूं कि जब हमारे प्राकृतिक संसाधनों में जैसे हवा पानी मिट्टी मैं कुछ खराब तत्व मिलकर उसे दूषित कर देते हैं और इसका प्रभाव पेड़ पौधे जीव जंतु एवं मनुष्य आदि प्राकृतिक संसाधन के स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ता है तो उसी को प्रदूषण कहते हैं प्रदूषण एक गंभीर समस्या मानव जीवन के लिए खड़ी कर सकती है
अर्थात यह हम लोग का कर्तव्य है कि प्राकृतिक संसाधनों का सुरक्षा करना है हम लोग के द्वारा किए गए जाने अनजाने में प्राकृतिक संसाधनों के साथ छेड़छाड़ को सुधार करना पड़ेगा ताकि प्रदूषण के समस्या से हमें काफी राहत प्रदान हो पेड़ पौधे को ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण करना होगा क्योंकि हम लोगों के द्वारा बीते कुछ वर्षों में पेड़ पौधे के कटनी और जंगलों की सफाई ज्यादा हुई है इसी तरह और भी कोई उपाय है जिसके द्वारा हम प्रदूषण को कंट्रोल कर सकते हैं
प्रदूषण के कारण
हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण होने के कई कारण होते हैं इन्हीं कारणो के कारण प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है यह प्रदूषण होने के कुछ बड़े कारण निम्नलिखित है जैसे:-
● कम वृक्षारोपण
● जंगल को तेजी से काटना
● प्रकृति के साथ छेड़छाड़
● कल कारखाने ,वाहन एवं मशीनों के कारण
● कीटनाशक दवाइयां का बढ़ता उपयोग
● तेजी से बढ़ रहा है शहरीकरण
● बढ़ती जनसंख्या
● वैज्ञानिक संसाधनों का अधिक उपयोग
● बढ़ता औद्योगिकरण
ऊपर दिए गए करण के द्वारा प्रदूषण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है इसके अलावा भी कई छोटे-छोटे कारण है जो हमारे प्रदूषण को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाते हैं |
इन प्रमुख निबंधों को भी पढ़ें:-
प्रदूषण के प्रकार.
प्रदूषण कई प्रकारों में होते हैं इनमें से कुछ प्रकारों के द्वारा बीते कुछ वर्षों में प्रदूषण काफी ज्यादा बढ़ गया है तो लिए मैं आप लोगों को प्रदूषण के प्रकार के बारे में संक्षेप में निम्न रूप से बता रहा हूं जो इस प्रकार के हैं:-
वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण को प्रदूषण के प्रकारों में से सबसे खतरनाक प्रकार माना जाता है प्रदूषण का मुख्य कारण हमारे उद्योग धंधे एवं वाहनों के द्वारा जो धुआं निकलता है वह सीधे हवा में में घुल कर हमारे सेहत पर सीधा प्रभाव करता है दिन प्रतिदिन उद्योग धंधे एवं वाहनों ने वायु में प्रदूषण को काफी वृद्धि कर दी है वायु प्रदूषण के कारण लोगों के दिल एवं फेफड़े संबंधित कई प्रकार के रोग उत्पन्न होते हैं
उद्योग धंधों एवं घरों से जो कचरा निकालते हैं वह नदी एवं पानी के अन्य श्रोताओं में मिल जाते हैं जिससे जल प्रदूषण हो जाता है पहले हमारी नदियां साफ़-सूत्री एवं पवित्र मानी जाती थी लेकिन वर्तमान समय में इन नदियों में विभिन्न कल कारखानों का गंदा पानी एवं कचरा कूड़ा करकट एवं रासायनिक कचरा प्लास्टिक के पदार्थ पानी में घुल जाना यह जल प्रदूषण को बढ़ावा देता है
भूमि प्रदूषण
जो कचरा कल कारखाने एवं घरेलू माध्यम से निकलते हैं वह पानी में पूरी तरह से घुल नहीं पाते हैं और वह जमीन के ऊपर फैला रहता है जबकि सरकार के द्वारा इनका पुनः दोबारा उपयोग एवं रीसायकल करने की व्यवस्था की जाती है लेकिन इसमें कोई खास सफलता प्राप्त नहीं होता हैं इस कारण इन चीजों के कारण भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है
इसलिए इस भूमि प्रदूषण के कारण मच्छर मक्खियों विभिन्न प्रकार के कीट पतंग का जन्म होता है जो मनुष्य एवं अन्य जीव जंतुओं के लिए बीमारी का कारण बनता है इस कारण इन चीजों के कारण भूमि प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है
ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण का मतलब कल कारखानों में होने वाली तेज आवाज से होता है अर्थात इन कल कारखानों में तरह-तरह के मशीनों की तरह-तरह की आवाज़ के तेजी के साथ निकलती है जिससे ध्वनि प्रदूषण होता है इसके अलावा भी हमारे रास्ते में जो वाहन चलाते हैं उनके द्वारा जो आवाज निकलती है, एवं पटाखों के फूटने से, एवं लाउडस्पीकर के द्वारा जो आवाज निकलती है, इन सब के द्वारा भी ध्वनि प्रदूषण होता है ध्वनि प्रदूषण मनुष्य के दिमाग पर प्रभाव डालता है जिसके कारण मनुष्य मानसिक रूपी रोग से ग्रसित हो जाता है साथ ही साथ सुनने की क्षमता भी काम हो जाती है
प्रदूषण से हानियां
प्रदूषण से कई प्रकार की हानियां होती है जैसे जल अगरअगर प्रदूषित हो जाए तो तो जल प्रदूषण हो जाता है अर्थात इसके जल को पीने से हमें कई प्रकार के रोग हो सकते हैं एवं प्रदूषित हवा हो जाए तो हमें सांस लेने में तकलीफों का सामना करना पड़ेगा एवं अगर भूमि प्रदूषित हो जाए तो विभिन्न प्रकार के मच्छर एवं मक्खी का जन्म होगा जो हमारे लिए हानिकारक हो सकते हैं क्योंकि इनके काटने से हम लोग बीमार ग्रसित हो सकते हैं ध्वनि प्रदूषण से मनुष्य मानसिक रूप से कमजोर हो जाता है अर्थात उसको मानसिक संबंधित रोग हो जाते हैं साथ ही साथ सुनने की शक्ति भी कम हो जाती है
इसलिए हम लोग को यह कर्तव्य बनता है कि स्वच्छ हवा के लिए ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण का कार्य किया जाए नदियां तालाब में जिन जानवरों को मारो नहलाते हैं इस पर रोक लगाना चाहिए क्योंकि उनको इन नदी और तालाब में नहाने से पानी प्रदूषित हो जाता है जिस कारण से जल प्रदूषण में बढ़ावा मिल रहा है
प्रदूषण से बचाव का उपाय
वर्तमान समय में देश के प्रत्येक व्यक्ति प्रदूषण के के संकट से परेशान है प्रदूषण से कैसे अपने आप को बचाव करें एवं प्रदूषण मुक्त होने के लिए क्या-क्या उपाय करें? यह प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के मन में है तो लिए मैं आप लोगों को प्रदूषण से बचाव का उपाय बताता हूं सबसे पहले हम लोगों को अपनेआप में बदलाव लाना पड़ेगा प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग उतना ही करें जितना हमें जरूरत हो ताकि हमारे भविष्य की पीढ़ी के लिए यह संसाधन उपलब्ध हो
हम लोगों को प्राकृतिक संसाधनों का सुरक्षा करना यह भावना अपने मन में रखना होगा हम लोग को ज्यादा से ज्यादा वृक्ष रोपण करना होगा, अपने आसपास सफाई रखनी होगी, मशीनों का कम इस्तेमाल करके, प्लास्टिक से बने बैग का इस्तेमाल न करना, अपने आसपास के नदियों तालाबों का सफाई रखना, और कचरा को जमीन पर जहां तहां ना फेंकना यह सारी चीज कर कर हम प्रदूषण से मुक्त हो सकते हैं
इस आर्टिकल के ऊपर जो बातें लिखी गई है उसको पढ़कर हम लोग इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि पर्यावरण को प्रदूषण होने से बचाने के लिए हम लोगों को साथ मिलकर कार्य करना होगा हम लोगों से प्रत्येक व्यक्ति अगर छोटे से छोटे कार्य प्रदूषण रोकने के लिए करेंगे तो समाज में एक नया परिवर्तन लाया जा सकता है |
प्रदूषण पर निबंध PDF Download | Download Pollution Hindi Essay in PDF
प्रदूषण पर पर निबंध कैसे लिखें इसकी जानकारी में आप लोगों को पीडीएफ फाइल के रूप में उपलब्ध करवा रहे हैं जिसको आप लोग अपने मोबाइल में PDF डाउनलोड करके आसानी पूर्वक देख सकते हैं |
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प्रदूषण पर 5 Lines | Pollution Essay in Hindi 5 lines
● प्रदूषित हवा और पानी इंसानों और जानवरों में कई प्रकार के बीमारियों का बीमारियों का निर्माण करता है
● प्रदूषण बहुत ही कम समय में पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है
● उर्वरकों और कीटनाशकों दवाइयां के ज्यादा उपयोग से मृदा प्रदूषण होता है और मिट्टी बंजर हो जाती है।
● वर्तमान समय में बढ़ रहे आधुनिकीकरण की कारण के उनकी मात्रा अधिक बढ़ गई है
● कूड़ा कचरा को जहां तहां फेंक देने से प्रकृति दूषित होती जा रही है |
प्रदूषण पर निबंध हिंदी में 100 शब्दों | Pollution Essay in hindi
प्रदूषण हमारे पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन को नष्ट करने वाले तत्व है प्रदूषण मनुष्य के दैनिक जीवन को काफी कभी प्रभावित करता है साथी साथ पृथ्वी पर निवास करें सभी जीव जंतुओं के जीवन यापन पर भी काफी प्रभाव डालता है प्रदूषण को हम लोग कई रूपों में देख सकते हैं अर्थात इसको कई रूप में बांट सकते हैं जैसे वायु प्रदूषण जल प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण भूमि प्रदूषण आदि है
प्रदूषण से कैसे बचे
प्रदूषण से बचने के लिए हमें कई सारे उपाय करने होंगे जैसे कि पता है वायु प्रदूषण से हम लोगों को सांस लेने की समस्या उत्पन्न हो रही है अर्थात सांस संबंधित बीमारियां हो जाती है हम लोगों को अपने आसपास साफ सफाई रखनी होगी, एवं ज्यादा से ज्यादा वृक्ष रोपण करना होगा ,इसके साथ ही साथ वाहनों का इस्तेमाल कम करना होगा, एवं मशीनों का इस्तेमाल भी, काम करना होगा अपने आसपास के नदियां तालाबों को साफ़ सफाई रखना होगा, और ज्यादा तेज से जो आवाज निकलती है उसे पर नियंत्रण करना होगा एवं सरकार जो नियम बनाएगी उसे नियम का पालन करना होगा
प्रदूषण पर निबंध 10 Lines | Pradushan Par Nibandh 10 Lines
● प्रदूषण पूरी दुनिया के लिए सबसे गंभीर समस्या है।
● प्रदूषण के इतनी तेजी के बढ़ने का मुख्य कारण मनुष्य है
● प्रदूषण सभी जीव जंतु के लिए हमेशा हानिकारक होता है
● प्रदूषण कारण कैंसर हृदय संबंधित रोग चमड़ा रोग दमा, आदि जैसी गंभीर बीमारियां होती है
● वृक्षारोपण करना ,एवं जल संसाधनों को स्वच्छ रखना, प्लास्टिक उपयोग का प्रतिबंध लगाना, प्रदेशों के प्रदूषण को कम कम करने की उपाय हैं
● घरेलू एवं कल कारखानों के कचरे को नदी में बहाने से नदी का पानी दूषित हो जाता है
● प्लास्टिक का ज्यादा उपयोग से प्लास्टिक प्रदूषण का जन्म हुआ है
● प्रदूषण के मुख्य प्रकार वायु प्रदूषण जल प्रदूषण ध्वनि प्रदूषण भूमि प्रदूषण है
● प्रदूषण से संबंधित बीमारियों के कारण प्रत्येक वर्ष लाखों लोगों की जान चली जाती है
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Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध
इस लेख / निबंध में आप प्रदूषण की समस्या और प्रदूषण को रोकने के उपाय की पूरी जानकारी है।प्रदूषण आज दुनिया के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गए है हमे मिलकर इसका सामना करना होगा। Here we providing Essay on Pollution in Hindi- you will get know-What is Pollution, type of pollution, Causes of pollution & Measures to Prevent Pollution, Pollution Essay in Hindi for class 5,6,7,8,9,10,11,12
Essay on Pollution in Hindi- प्रदूषण पर निबंध ( पोल्लुशन पर एस्से )
प्रदूषण पर निबंध in 100 words
प्रदुषण आज के समय में बहुत बड़ी समस्या है और इसका उत्पन्न मनुष्य की गतिविधियों से हुआ है। उसने अपनी प्रगति के लिए कारखानों वाहनों का निर्माण किया जिससे निकलने वाला धुआँ वातावरण को प्रदुषित करता है। प्रदुषण के कारण स्वास्थय पर बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हमें बढ़ते हुए प्रदुषण को रोकने की आवश्यक्ता है जिसके लिए हमें ज्यादा सो ज्यादा पेडय लगाने चाहिए और पर्यावरण को दुषित करने वाली चीजें जैसे पॉलीथीन आदि का प्रयोग नहीं करना चाहिए। निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए। वातावरण को प्रदुषण मुक्त बनाना हमारा कर्तव्य है।
Pollution Essay in Hindi ( 150 words )
पर्यावरण- प्रदूषण का अर्थ है- वातावरण के प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी पैदा होना। प्रदूषण मुख्यतः तीन प्रकार का होता है वाय-प्रदूषण, जल-प्रदूषण तथा ध्वनि-प्रदूषण। शहरीकरण तथा वैज्ञानिक प्रगति प्रदषण फैलने के दो बड़े कारण हैं। एक अन्य बड़ा कारण है-बढ़ती जनसंख्या। इस कारण वातावरण में इतना मल, कचरा, धुआँ और गंद जमा हो जाता है कि मनुष्य के लिए स्वस्थ वायुमंडल में साँस लेना दूबर हो जाता है। जल-प्रदषण से सभी नदियाँ, नहरें, भूमि दूषित हो रही है।परिणामस्वरूप हमें प्रदूषित फसले मिलती है और गंदा जल मिलता है। आजकल वाहनों, भोंपूओं, फैक्टरियों रक्तचाप, मानसिक तनाव, बहरापन आदि बीमारियाँ बढ रही हैं। प्रदषण से मुक्ति के उपाय हैं आसपास पेड़ लगाना। हरियाली को अधिकाधिक स्थान देना। अनावश्यक शोर को काम करना। विलास की वस्तुओं की बजाय सादगीपूर्ण ढंग से जीवनपान करना। घातक बीमारियां पैदा करने वाले उद्योगों को बंद करना अदि। आज यह समस्या विश्व भर में व्याप्त है। इसलिए विश्व-समुदाय को मिलकर कुछ कठोर निर्णय लेने पड़ेंगे।
Pradushan essay in Hindi ( 200 words )
प्रदुषण आज के समय की सबसे बड़ी समस्या है जिससे हमारा समस्त वातावरण दुषित होता जा रहा है और इसका नकारात्मक प्रभाव सभी जैविक और अजैविक चीजों पर पड़ता है। पृथ्वी में भौतिक और रसायनिक तत्वों में बदलाव होने के कारण प्रदुष होता है यानि कि किसी भी चीज का दुषित होना प्रदुषण कहलाता है। प्रदुषण चार प्रकार होता है जैसे वायु प्रदुषण, दल प्रदुषण, भूमि प्रदुषण और ध्वनि प्रदुषण। इसके कारण जलवायु में भी परिवर्तन होता है बहुत सी बिमारियाँ भी फैलती हैं। मनुष्य के क्रिया कलापों के कारण ही वातावरण में प्रदुषण की मात्रा बढ़ी है। पेड़ काटने, खुले में कचरा फेंकने, पॉलीथिन आदि के प्रयोग से प्रदुषण में वृद्धि हुई है।
प्रदुषण के कारण लोगौं का जीवन दुष्वार होता जा रहा है और हमें इस बढ़ते प्रदुषण को रोकने की आवश्यकता है अन्यथा एक दिन वनस्पति और मनुष्य का जीवन खतरे में आ जाऐगा। हमें पेड़ो को काटने की बजाय ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए और पर्यायवरण के लिए हीनिकारक वस्तुओं का प्रयोग नहीं करना चाहिए। प्रदुषण को रोकने का उपाय हम सबको मिलकर करना होगा और वातावरण को सुरक्षित रखना होगा। प्रदुषण से होने वाले नुकसान के बारे में लोगों को बताना चाहिए और उन्हें जागरूक करना चाहिए।
Essay on Pollution in Hindi ( 800 words )
भूमिका – मानव ने जब प्रकृति माता की गोद में आँखें खोलीं तो उसने अपने चारों ओर उज्वल प्रकाश, निर्मल जल और स्वच्छ वायु का वरदान पाया। वन प्रदेशों की मनोहर हरियाली में उसने जीवन के मधुरतम सपने देखे। उसका पेड़-पौधों से, फल, फूलों से, चहकते पक्षियों से, प्रभात और संध्याबेला से नित्य का संबंध था। प्रकृति के आंगन में खेलते हुए उसने पाया पुष्ट , निरोग शरीर और उत्साह-उल्हास से लबालब तनावहींन मानस। किन्तु धीरे-धीरे उसके मन में प्रकृति पर शासन करने की लालसा जागी। उसने प्रकृति को माँ के स्थान से हटाकर दासी के स्थान पर धकेलना चाहा। इसको नाम दिया गया ‘वैज्ञानिक-प्रगति।” आज वैज्ञानिक युग में मानव जीवन के सामने अनेक समस्याएं है। विज्ञानं ने जहा एक और सुख सुविद्याएँ उत्पन करके मानव जीवन को सुखी बनाया, वहां मनुष्य के जीवन में अनेक दुखो को भी जनम दिया है। अंत: विज्ञानं अगर वरदान है तो अभिशाप भी है। आज प्रदूषण विज्ञानं का प्रमुख अभिशाप है जिसे संसार के अधिकतर लोगो को भोगना पड़ रहा है। प्रदूषण की यह समस्या सारे संसार में फैल चुकी है।
प्रदूषण के प्रकार ( Types of pollution )
आज सृष्टि का कोई पदार्थ, कोई कोना प्रदूषण के प्रहार से नहीं बच पाया है। प्रदूषण मानवता के अस्तित्व पर एक नंगी तलवार की भाँति लटक रहा है। प्रदूषण के मुख्य स्वरूप निम्नलिखित हैं –
1. जल प्रदूषण ( Water Pollution ) – जल मानव-जीव के लिए परम आवश्यक पदार्थ है। जल के परंपरागत स्रोत हैं- कुएँ तालाब, नदी तथा वर्षा का जल । प्रदूषण ने इन सभी स्रोतों को दूषित कर दिया है। औद्योगिक प्रगति के साथ-साथ हानिकारक कचरा और रसायन बड़ी बेदर्दी से इन जल स्रोतों में मिल रहे हैं। महानगरों के समीप से बहने वाली नदियों की दशा तो अकथनीय है। गंगा यमुना, गोमती सभी नदियों की पवित्रता प्रदूषण की भेंट चढ़ गयी है।
2. वायु प्रदूषण ( Air Pollution ) -वायु भी जल जितना ही आवश्यक पदार्थ है। श्वास-प्रश्वास के साथ वादु निरंतर शरीर में जाती है। आज शुद्ध वायु का मिलना भी कठिन हो गया है। वाहनों, कारखानों और सड़ते हुए औद्योगिक कचरे ने वायु में भी जहर भर दिया है। घातक गैसों के रिसाव भी यदा-कदा खंड प्रलय मचाते रहते हैं।
3. खाद्य प्रदूषण ( Food pollution ) -प्रदूषित जल और वायु के बीच पनपने वाली वनस्पति या उसका सेवन करने वाले पशुपक्षी भी आज दूषित हो रहे हैं। चाहे शाकाहारी हो या माँसाहारी कोई भोजन के प्रदूषण से नहीं बच सकता।
4. ध्वनि प्रदूषण ( Noise pollution ) -आज मनुष्य को ध्वनि के प्रदूषण को भी भोगना पड़ रहा है। कर्णकटु और कर्कश ध्वनियाँ मनुष्य के मानसिक संतुलन को बिगाड़ती हैं और उसकी कार्यक्षमता को भी कुप्रभावित करती हैं। वैज्ञानिक और औद्योगिक प्रगति की किरपा के फलसरूप आज मनुष्य कर्कश, असहनीय और श्रवणशक्ति को क्षींण करने वाली ध्वनियों के समुद्र में रहने को मजबूर है। आकाश में वायुयानों की कानफोड़ ध्वनियाँ धरती पर वाहनों, यंत्रों और संगीत का मुफ्त दान करने वाले ध्वनि विस्तारकों का शोर आदि सब मिलकर मनुष्य को बहरा बना देने पर तुले हुए हैं।
प्रदूषण बढ़ने के कारण ( Causes of pollution )
-प्राय: हर प्रकार के प्रदूषण की वृद्ध के लिये हमारी औद्योगिक और वैज्ञानिक प्रगति तथा मनुष्य का अविवेकपूर्ण आचरण ही जिम्मेदार है। चर्म उद्योग, कागज़ उद्योग, छपाई उदयोग, वस्तर उदयोग और नाना प्रकार के रासायनिक उद्योगों का कचरा और प्रदूषित जल लाखों लीटर की मात्रा में रोज़ नदियों में बहाया जाता है या जमीन में समाया जा रहा है। गंगा जल जोकि वर्षों तक शुद्ध और अविकृत रहने के लिए प्रसिद्ध था, वह भी हमारे पापों से मलीन हो गया है।
वाहनों का विसर्जन, चिमनियों का धुआँ, रसायनशालाओं की विषैली गैसें मनुष्यों की साँसों में गरल घोल रही हैं। प्रगति और समृद्ध के नाम पर जहरीला व्यापार दिन दुगुना बढ़ता जा रहा है। सभी प्रकार के प्रदूषण हमारी औद्योगिक, वैज्ञानिक और जीवन स्तर की प्रगति से जुड़ गये हैं। हमारी हालत साँप-छछुंदर जैसी हो रही है।
प्रदूषण रोकने के उपाय ( Measures to Prevent Pollution )
– प्रदूषण ऐसा रोग नहीं है कि जिसका कोई उपचार ही न हो। इसका पूर्ण रूप से उन्मूलन न भी हो सके तो इसे हानिरहित सीमा तक नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिये कुछ कठोर, अप्रिय और असुविधाजनक उपाय भी अपनाने पड़ेंगे।
प्रदूषण फैलाने वाले सभी उद्योगों को बस्तियों से सुरक्षित दूरी पर ही स्थापित और स्थानांतरित किया जाना चाहिये। उद्योगों से निकलने वाले कचरे और दूषित जल को निष्क्रिय करने के उपरांत ही विसर्जित करने के कठोर आदेश होने चाहिये।
ध्वनि प्रदूषण से मुक्ति भी तभी मिलेगी जब कि वाहनों का अंधाधुंध प्रयोग रोका जाए। हवाई अड्डे बस्तियों से दूर बने और वायु मार्ग भी बस्तियों के ठीक ऊपर से न गुजरें। रेडियो, टेप तथा लाउडस्पीकरों को मंद ध्वनि से बजाया जाए।
उपसंहार- प्रदूषण की समस्या मनुष्य का अदृश्य शत्रु है। धीरे धीरे यह मानव-जीवन को निगलने के लिये बढ़ी आ रही है। यदि इस पर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया तो आदमी शुद्ध जल, वायु, भोजन और शांत वातावरण के लिये तरस जायेगा। प्रशासन और जनता दोनों प्रयासों से ही प्रदूषण से मुक्ति मिल सकती है। गंगा सफ़ाई अभियान प्रशासन का ऐसा ही प्रयास था, किंतु ये आयोजन सिर्फ एक प्रशासकीय फैशन या तमाशा बन कर नहीं रह जाएं। एक स्वच्छ और स्वास्थ्यकर विश्व में रहना है तो प्रदूषण से लड़ना ही होगा।
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ध्यान दें – प्रिय दर्शकों Essay on Pollution in Hindi & Paryavaran Pradushan पर लिखा हुआ निबंध आपको अच्छा लगा तू जरूर शेयर करे ।
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Essay on Pollution: प्रदूषण पर 300 शब्द का सबसे आसान हिन्दी निबंध, इन बातों को जरूर करें शामिल
Essay on pollution in hindi (प्रदूषण पर निबंध हिन्दी में): स्कूलों में बच्चों को अक्सर प्रदूषण पर निबंध लिखने के लिए कहा जाता है। निबंध लिखने से न केवल बच्चे प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या को लेकर जागरुक होंगे बल्कि इससे पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को भी जानेंगे।.
Updated May 28, 2024, 20:53 IST
Essay on Pollution
Essay on Pollution in Hindi (प्रदूषण पर निबंध हिन्दी में): देश और दुनिया में आज जितनी तेजी से विकास हो रहा है, हमारी पृथ्वी पर प्रदूषण का स्तर भी हर दिन दुगनी गति से बढ़ रहा है। एक तरफ विभिन्न प्रकार के उपकरण हमारे जीवन को आसान बना रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ प्रदूषण की वजह से हमारे स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पड़ रहा है। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों से निकलने वाला गंदा पानी, सड़कों पर सरपट दौड़ने वाली गाड़ियों से निकलता धुआं और पटाखों आदि की वजह से ही प्रदूषण फैलता है। प्रदूषण की इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए सभी के योगदान की आवश्यकता है। ऐसे में कई बार स्कूलों और कॉलेजों में भी बच्चों को प्रदूषण पर निबंध (Essay on Pollution) लिखने के लिए कहा जाता है। निबंध लिखने से न केवल बच्चे जागरुक होंगे बल्कि इससे पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को भी जानेंगे। ऐसे में आज हम आपको प्रदूषण पर लगभग 300 शब्दों (Essay on Pollution in 300 Words) का सबसे आसान निबंध बताएंगे।
भारत में प्रदूषण
भारत दुनियाभर में तीसरा सबसे प्रदूषित देश है। स्विस एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग संस्था IQAir के अनुसार, दुनियाभर के टॉप 50 सबसे प्रदूषित शहरों में से 42 शहर भारत के थे। दुनिया के टॉप 5 प्रदूषित शहरों में भारत का बेगुसराय गुवाहाटी, दिल्ली, मल्लांपुर और पाकिस्तान का लाहौर शामिल हैं। इसके अलावा नई दिल्ली, सीवान, सहरसा, गोशैनगांव और कटिहार भी टॉप 10 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल है।
Types of Pollution: प्रदूषण के प्रकार
प्रदूषण मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण।
Air Pollution : वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण आज एक गंभीर समस्या है, जो हमारे पर्यावरण को बुरी तरह प्रभावित करती है। मोटर वाहनों और कारखानों आदि से निकलने वाली जहरीली हवा वायु प्रदूषणा का मुख्य कारण है। वायु प्रदूषण की वजह से वायु की गुणवत्ता में कमी आती है। इसके परिणामस्वरूप मानव स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण पर असर पड़ता है।
Water Pollution : जल प्रदूषण
पृथ्वी पर बिना जल के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है लेकिन अब इंसानों द्वारा यह जल प्रदूषित हो रहा है। नदी, तालाब, समुद्र, झील व भू-जल आदि का दूषित होना ही जल प्रदूषण कहलाता है। प्लास्टिक, औद्योगिक कचरा, नालों का गंदा पानी जल प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं। जल प्रदूषण से न केवल मनुष्य बल्कि पशु-पक्षी और मछली भी प्रभावित होते हैं। इसकी वजह से कई तरह की बीमारियां भी फैलती हैं।
Noise Pollution : ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण एक प्रकार का प्रदूषण है, जो तेज और अप्रिय आवाजों के कारण होता है। कारखानों, गाड़ियों, मशीनों, स्पीकरों और पटाखों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। जल और वायु प्रदूषण की तरह ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभाव दिखाई नहीं देते लेकिन यह पर्यावरण के लिए उतना ही खतरनाक है। मानव जीवन के साथ ही यह जानवरों के जीवन के लिए भी हानिकारक है।
Soil Pollution : मृदा प्रदूषण
भारतीय आबादी का एक बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर है। ऐसे में किसान उत्पादन बढ़ाने के लिए तरह तरह के रासायनिकों का प्रयोग करते हैं। इसके अत्याधिक उपयोग की वजह से मिट्टी दूषित हो जाती है और आगे फसल लगाने लायक नहीं रह जाती है। वहीं, कचड़े को ठीक तरह से डंप न करने की वजह से भी मृदा प्रदूषण होता है। इस वजह से डेंगू जैसी कई जानलेवा बीमारियां जन्म लेती हैं।
ऐसे करें सुधार
पर्यावरण को बचाने का काम हम अपने घर से ही शुरू कर सकते हैं। कोशिश करें कि साल में एक पौधा जरूर लगाएं। बिजली या पानी का दुरुपयोग न करें। किसी भी तालाब या नदी को दूषित न करें। प्लास्टिक का उपयोग बंद करें दें और इसकी जगह कागज या कपड़े के थैले का प्रयोग करें। ध्यान रहे कि पृथ्वी सभी मनुष्यों की जरूरत पूरी करने के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है लेकिन लालच पूरा करने के लिए नहीं।
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प्रदूषण पर हिंदी निबंध। pollution essay in hindi
प्रदूषण मानव द्वारा जन्मा एक ऐसा राक्षस है जो धीरे धीरे मानस सभ्यता को काल के मुँह में धकेलता जा रहा है । प्रदुषण की समस्या विश्वव्यापी है। आज आप इस पोस्ट में pollution essay in hindi पढ़ेंगे। प्रदुषण पर निबंध स्कूल और कॉलेज में जरूर पुछा जाता है। इस हिंदी निबंध को आप essay on pollution in hindi for class 1, 2, 3 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12 तक के लिए थोड़े से संशोधन के साथ प्रयोग कर सकते है।
जब भी पॉल्युशन की बात की जाती से जिसे हिंदी में प्रदूषण कहते है सबसे पहले एक ऐसा चित्र दिमाग मे बनता है जिसमे बहुत सारा धुंआ हो। पर अगर वाकई में समझा जाये तो ये इससे बहुत ज़्यादा है। अक्सर बिना समझे, बिना जाने, जो लोग जागरूक नही होते वे प्रदूषण को बस धुंए तक समझ कर सीमित कर देते हैं।
आज एक ऐसेअनसुलझे शब्द की बात बड़े आसान रूप से करेंगे जिसका सिर्फ लोग नाम ही जानते है प्रदूषण ।आखिर ये जागरूकता की कमी ही तो है जो प्रदूषण के स्तर में इजाफा होता ही चला जाता है। जब घर मे संतान का जन्म होता है, तब उसे ये सीखाया जाता है कि अपने आस पास के लोगो के साथ कैसे व्यवहार करें। और सर्वप्रथम ये सीखाया जाता है कि कैसे आस पास के लोगो से मधुर व्यवहार करें। बड़े दुर्भाग्य की बात है कि कोई भी अपने घर मे अपनी संतान को ये नही सीखाता की प्रकृति से कैसे मधुर व्यवहार करें।
प्रस्तावना- प्रदूषण – इस जटिल शब्द को आसान से आसान भाषा मे समझने का उद्देश्य रखते हुए, एक साधारण तौर पर इसे समझा जाये तो इसका अर्थ है दूषित तत्वों का पर्यावरण में मिश्रण। जब दूषित तत्वों का पर्यावरण में मिश्रण होता है। वातावरण दूषित होता है और इसे हम प्रदूषण कहते है। प्रदूषण बेशक हर जगह होता है, किस कारण होता है उसपर हम चर्चा करेंगे। परंतु उसके पहले भारत देश मे प्रदूषण की स्थिति से रूबरू होना आवश्यक है। आखिर प्रदूषण में भारत कहा तक ज़िम्मेदार है? ये जानना हर भारतिय का अधिकार है। द हिन्दू के अखबार में आईक्यू एयर विजुअल की रिपोर्ट प्रकाशित हुई। वह रिपोर्ट सबको चौकाने वाली थी। समूचे विश्व मे भारत प्रदूषण के स्तर में पांचवे स्थान पर रहा। सब कड़ियों को जोड़ने से पहले हम जान लेते है प्रदूषण के बारे में आम जानकारी। जिससे आगे की बात बेहतर रूप से समझ आये। आज हम इसे पढ़ कर तथ्य और मिथ्या में फर्क भी कर पाएंगे।
प्रदूषण के विकराल प्रकार- वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण।
आप सोच रहे होंगे कि सीधे से प्रदूषण के प्रकार ना बोलते हुए इसे प्रदूषण के विकराल प्रकार क्यों बोला गया? इसकी एक मात्र वजह है लोगो को इसके बारे में जानकारी ही नही है कि प्रदूषण के प्रकार विकराल है।हम प्रदूषण को उसके शब्द जितना ही तो छोटा समझते है। जबकि असल मे प्रदूषण के प्रकार कोई छोटा किरदार नही निभाते है वातावरण को दूषित करने में। सब एक समान वातावरण दूषित करते है। हम लोग प्रदूषण को बस धुंए जितना समझते हैं। असल मे ये बेहद विकराल है।
वायु प्रदूषण- वायु प्रदूषण तब होता है जब वायु की गुणवत्ता का स्तर घट जाता है। और फिर वही वायु जब हम स्वाश के रूप में लेते है तब वह हमारे लिए नुकसानदायक होती है। ये बात जान कर हैरानी होगी कि कई पशु पक्षी की जाती इसी वजह से विलुप्त भी हो जाती है। उन्हें उनके रहने के लिए सही वातावरण प्राप्त नही हो पाता। वायु प्रदूषण से मनुष्य नही जानवरो को भी खतरा है। पशु पक्षियों को बीमारिया होती है और साथ ही मनुष्य को भी विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। खास तौर पर तब जब वायु प्रदूषण से कोई नई बीमारी का सृजन होता है। मनुष्य को दमा, सर्दी-खांसी, अंधापन, त्वचा के रोग, स्वास संभंधित बीमारिया, हार्ट अटैक आदि समस्याएं होती है। हाल ही में इसी वर्ष 2 लाख लोगों की मृत्यु वायु प्रदूषण से होने का लेख अखबार दा हिन्दू में प्रकाशित हुआ था। हम प्रदूषण की वजह से अपने प्रिय जानो की जान जाते देख विचलित है।
वायु प्रदूषण वाहनों से धुआं निकलने की वजह से होता है। फैक्ट्री से धुआं अधिक मात्रा में निकलने की वजह से होता है। पेड़ पौधों को कांटने से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ता है। व ऐसे कई कारण वायु प्रदूषण को फैलाने में हिस्सेदार हैं। किसान पराली जलाते है उससे भी वायु प्रदूषण में तेज़ी से इजाफा होता है।वायु प्रदूषण संसार मे हर प्रकार से हानि कारक है।
जल प्रदूषण- जब साफ स्वच्छ पानी मे घातक पदार्थ मिल जाते है उसे हम जल प्रदूषण कहते है। पानी की गुणवत्ता को गिराता है जल प्रदूषण। जब आम जन उसी पानी को इस्तेमाल करते है तब उनके शरीर में वो पदार्थ बेहद बुरा असर करते हैं।पशु पक्षी उसी दूषित पानी को पीकर मार जाते है। कुछ बीमार हो जाते है। नहर नालो में गंदगी की वजह से मच्छर उत्पन्न होते है। और घातक प्रहार करते है। जिससे मनुष्य को टायफाइड, पीलिया, मलेरिया जैसी बीमारियां होती है। इसकी वजह से पेड़ पौधों में भी शुद्ध पानी नही पहुंचता। पानी मे रहने वाले जीव-जंतु को हानि होती है।उन्हें ठीक मात्रा में ऑक्सीजन नही मिलती।
जल प्रदूषण खास तौर पर फैक्ट्री व उद्योग से निकलने वाले रासायनित पानी को समुद्र में डालने से होता है। कई बार आस पास की नदियों में भी वह गंदा पानी डाल दिया जाता है। मुख्य वजह में से एक वजह है नालों को नदियों से जोड़ना, उससे पीने का पानी भी दूषित होता है। हर छोटी चीज़ को पानी मे विसर्जित करने से भी जल प्रदूषण बढ़ता है।
भूमि व ध्वनि प्रदूषण- जब भूमि के स्तर में गुणवत्ता की कमी होती है उसे भूमि प्रदूषण बोलते है। साथ ही जब अनियंत्रित ध्वनि से लोगो को तकलीफों का सामना करना पड़ता है उसे ध्वनि प्रदूषण कहते है। अधिक प्लास्टिक को जब भूमि में गाढ़ दिया जाता है उससे भी भूमि दूषित होती है।प्लास्टिक पॉलीथिन दशको बाद भी गलती नही है। किसानों द्वारा अधिक कीटनाशक का उपयोग भी भूमि के लिए हानिकारक होता है। उससे कृषि द्वारा अनाज दूषित होता है।भूस्खलन की संभावनाएं बढ़ती है। सायरन से ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है।वाहनों की अधिक ध्वनि मुख्य कारण है ध्वनि प्रदूषण का। इससे हृदय रोग की व रक्तचाप अर्थात ब्लड प्रेशर की संभावनाएं बनती है।
प्रदूषण संबंधित आंकड़े- हाल ही में पूरे विश्व में ब्लड प्रेशर से 14 लाख लोगों की मृत्यु हुई। आगे भी ये सिलसिला जारी रहने की सौ प्रतिशत संभावनाए है। अगर ध्यान नही दिया गया तो ये संख्या में इजाफा होने आम बात होगी। आईक्यू एयर विजुअल द्वारा रिपोर्ट में पहले स्थान पर बांग्लादेश रहा और पांचवे स्थान पर भारत रहा। लेकिन वर्ष 2019 में 30 सबसे प्रदूषित शहर में से 21 शहर भारत के रहे। भारत का गाज़ियाबाद शहर सबसे प्रदूषित शहर माना गया। वही भारत की राजधानी दिल्ली सभी राजधानियों में से सबसे प्रदूषित राजधानी मानी गयी। इसके लिए सरकार ने कदम भी उठाए। जनरेटर का अधिक उपयोग बंद करवाया। एन्टी पॉल्युशन गाईडलाइन भी दी। किसानों को पराली जलाने से मना किया। एनसीसी की मदद से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज लोकुर जी ने दिल्ली में प्रदूषण की रोकथाम कर प्रयास किये। अब तक विशेष बदलाव नज़र नही आये। परंतु आशा है कि जल्द से जल्द प्रदूषण कम हो।
रोकथाम उपाय- सभी कड़ियों को जोड़ते हुए फिर हम उस मोड़ पर खड़े है जहाँ हमने प्रदूषण का भयावह रूप देखा। जहाँ मौत के आंकड़े भी लाखों की संख्या में रहे। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम अपने भावी पीढ़ी को ऐसा वातावरण दे रहे जो उनका स्वस्थ जीवन भी सुनिश्ति नही करता। अपने लिए न सही तो आने वाली पीढ़ी के लिए आज के मनुष्य को पूर्णतः जागृत होने की आवश्यकता है।अन्यथा जाने अनजाने हम ही हमारे भावी पीढ़ी के विनाशक होंगे।
कोई कठिन कार्य को हम करना सही समझते है। लेकिन पर्यावरण की रक्षा करने जैसा आसान काम हम सही नही समझते। हर व्यक्ति अपने जीवन मे पौधारोपण करे तो ये वृक्ष ही हमे जीवन दान देंगे। पौधारोपण से प्रकृति का संतुलन बना रहेगा और हमे स्वच्छ हवा की किल्लत कदापि नही होगी।
बेशक अगर कुछ लोग जागरूक है तो हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम अन्य लोगो को भी जागरूक करे। उन्हें पर्यावरण का महत्व समझाए। वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित करे।सरकार के नियमो का पालन करे।सरकार को भी नियम का उल्लंघन करने वालो पर अधिक से अधिक जुर्माना लगाने चाहिए। फैक्ट्री को जीविका क्षेत्र से दूर लगाने के लिए सख्त प्रावधान बनाना चाहिए। हर जगह डस्टबिन की व्यवस्था हो। रीसायकल बिन हो जिसमे गीले व सूखे कचरे अलग भी डाले जा सके। किसान कीटनाशक का कम से कम उपयोग करे।
उपसंहार- हर वर्ष 2 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण रोकथाम दिवस मनाया जाता है। परन्तु इसके बारे में अधिक लोग जानते ही नही। हमे हर रोज़ हर क्षण अपने पर्यावरण का ध्यान रखना चाहिए। एक दिन में दशको की गंदगी कैसे खत्म होगी। हमे साफ सफाई, वृक्षारोपण का विशेष ध्यान रखना चाहिए। ऐसे कोई भी कार्य नही करना चाहिए जो हमारे पर्यावरण के हित में ना हो। पर्यावरण हमारा है और उसपर हमारा पूरा अधिकार है। हम अपने पर्यावरण को मिल कर बचाएंगे। इस तरह से बर्बाद आगे कभी भी नही होने देंगे।
अब उठिए, जागिये और आज भी अपने आंगन में पौधे लगाइये।
हमें आशा है आपको pollution essay in hindi language में पसंद आया होगा। आप इस निबंध को essay on pollution या short essay on pollution के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। environment and pollution essay in hindi के लिए इस पोलुशन एस्से को आप प्रयोग कर सकते है।
पर्यावरण प्रदूषण पर निबंध (Environmental Pollution Essay in Hindi)
“प्रदूषण”, एक ऐसा शब्द है जिससे हर कोई नफरत करता है। प्रदूषण किसी को पसंद नहीं, फिर यह आता कहां से है? इसके लिए इंसान के अलावा कोई और जिम्मेदार नहीं है। यह मानव और उनकी गतिविधियाँ हैं, जो पर्यावरण प्रदूषण में योगदान करती हैं। हमें अपने घर की सफाई करना अच्छा लगता है लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि जिस वातावरण में हम सांस लेते हैं वह भी हमारा घर है। बढ़ता प्रदूषण इंसानों के साथ-साथ सभी जीवित प्राणियों को भी प्रभावित करेगा।
पर्यावरण प्रदूषण पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Environmental Pollution in Hindi, Paryavaran Pradushan par Nibandh Hindi mein)
आइए, हम छोटे और बड़े निबंधों के माध्यम से पर्यावरण प्रदूषण के कारण और गहरे प्रभाव को समझें।
निबंध – 1 (300 शब्द)
प्रदूषण गंदगी, अशुद्धियों या अन्य दूषित पदार्थों का सम्मिलन है जो मौजूदा प्रक्रिया में प्रतिकूल परिवर्तन का कारण बनता है। जब ये अशुद्धियाँ पर्यावरण को प्रभावित करती हैं, तो हम इसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। वे पदार्थ जो प्रदूषण में योगदान करते हैं, प्रदूषक कहलाते हैं। वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और जल प्रदूषण पर्यावरण प्रदूषण के तीन प्रमुख योगदानकर्ता हैं। यह प्रदूषण या तो मानवीय गतिविधियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण होता है।
प्रदूषण के प्रभाव
प्रदूषण का हर प्राणी पर नकारात्मक और खतरनाक प्रभाव पड़ता है। प्रदूषित वातावरण मानव स्वास्थ्य को विभिन्न तरीकों से नुकसान पहुंचाता है। पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती दर के कारण मनुष्य विभिन्न रोगों का शिकार हो सकता है। इसके कारण कई जीवों का जीवन गंभीर खतरे में है। बच्चों से लेकर बड़ों तक हर कोई प्रदूषण की चपेट में है।
मनुष्यों के अलावा, प्राकृतिक संसाधन भी इस प्रमुख चिंता से ग्रस्त हैं। प्रदूषण के कारण हवा पीली हो रही है और पानी काला हो रहा है। पर्यावरण प्रदूषण की बढ़ती गति पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन को बिगाड़ देती है। अन्य जीव जैसे जलीय प्रजातियां, पौधे और वन्यजीव भी खतरे में हैं। हम कुछ प्रजातियों में मृत्यु दर की बढ़ी हुई संख्या देख सकते हैं।
पहले का जीवन आज की तुलना में बहुत बेहतर था। पहले लोगों के पास उन्नत तकनीक नहीं थी, लेकिन उनके पास सांस लेने के लिए शुद्ध हवा और पीने के लिए पानी था। इससे उन्हें लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद मिलती थी। लेकिन आज एक छोटा बच्चा भी बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण के कारण कई बीमारियों की चपेट में है। अगर सही कदम नहीं उठाए गए तो वह समय दूर नहीं जब हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और हमारा जीवन थम जाएगा।
निबंध – 2 (400 शब्द)
पर्यावरण प्रदूषण का अर्थ है पारिस्थितिकी तंत्र को परेशान करना। इस समस्या के प्रति लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। वे वर्तमान का आनंद ले रहे हैं लेकिन भविष्य के परिणामों से अनजान हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ेगा। इसलिए हमें इस समस्या को और गंभीरता से लेने की जरूरत है।
पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार
पर्यावरण प्रदूषण के तीन प्रमुख प्रकार कुछ इस तरह हैं:
वायु प्रदूषण : वातावरण में वायु को प्रदूषित करना वायु प्रदूषण कहलाता है। जहरीली गैस और धुआं हवा में मिल जाती है और वायु प्रदूषण को जन्म देती है। कार्बन मोनोऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड जैसी विभिन्न गैसें सांस लेने के लिए अत्यधिक जहरीली होती हैं।
जल प्रदूषण : जल में अशुद्धता, अपशिष्ट, विषाक्त पदार्थ आदि का निर्वहन जल प्रदूषण कहलाता है। लोग जल निकायों में कचरा, प्लास्टिक आदि फेंकते हैं। परिणामस्वरूप पानी उपयोग के लिए हानिकारक हो जाता है।
भूमि / मृदा प्रदूषण : अपशिष्ट और अजैव निम्नीकरणीय सामग्री को मिट्टी में जमा करने से मिट्टी या भूमि प्रदूषण होता है। अजैव निम्नीकरणीय कचरा मिट्टी को अनुपजाऊ बना देता है। मिट्टी में जहरीले पदार्थ की उच्च सांद्रता इसे पौधों और मनुष्यों दोनों के लिए अपर्याप्त बनाती है।
पर्यावरण प्रदूषण में युवाओं की भूमिका
नई पीढ़ी या युवाओं की जीवनशैली पर्यावरण प्रदूषण में अधिक योगदान दे रही है। तकनीकी कार्यान्वयन के कारण वे आलसी होते जा रहे हैं। अब वे बाइक और कारों का उपयोग करते हैं जो पर्यावरण के अनुकूल साइकिल के बजाय अधिक वायु प्रदूषण पैदा करती हैं। उनकी आराम की जरूरत विनिर्माण उद्योगों द्वारा पूरी की जाती है जो वायु और जल प्रदूषण का मुख्य कारण हैं।
हालाँकि, युवा अधिक से अधिक जागरूकता बढ़ाकर पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। स्वस्थ और पर्यावरण के अनुकूल आदत अपनाने से उन्हें इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी। पेड़ लगाना, साइकिल चुनना या आस-पास की दूरी के लिए पैदल चलना आदि एक बड़ी मदद होगी।
पर्यावरण प्रदूषण एक प्रमुख चिंता का विषय है जो हमारे आने वाले भविष्य को खोखला कर देगा। प्रदूषण वर्तमान के लिए खतरनाक है और भविष्य के लिए एक बड़े खतरे के रूप में बदल रहा है। इस असंतुलन के लिए हर इंसान जिम्मेदार है। इसलिए हमें मिलकर काम करने की जरूरत है, आज एक छोटी सी मदद कल एक बड़ी खुशी लौटाएगी।
निबंध – 3 (500 शब्द)
हम पृथ्वी पर रहते हैं, जो एकमात्र ऐसा ग्रह है जहां जीवन संभव है। यहां मौजूद हवा, पानी और मिट्टी जैसे संसाधन सीमित हैं। उन्हें प्रदूषित करने का मतलब है कि हम खुद को मुश्किल में डाल रहे हैं। हर दिन प्रदूषण का स्तर बढ़ता ही जा रहा है। स्वस्थ जीवन जीने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में अपना योगदान देना चाहिए।
पर्यावरण प्रदूषण के कारण
पर्यावरण प्रदूषण के कुछ प्रमुख कारण नीचे दिए गए हैं:
- औद्योगीकरण : बड़े उद्योग हवा में जहरीली गैस छोड़ते हैं। साथ ही हानिकारक रसायनों को सीधे जल निकायों में छोड़ दिया जाता है। वे अधिकांश पर्यावरण प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं।
- आधुनिकीकरण : हम आधुनिक संस्कृति को बहुत गर्व से स्वीकार कर रहे हैं लेकिन इसके नकारात्मक प्रभावों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। कोई कम दूरी के लिए भी साइकिल का उपयोग नहीं करना चाहता। प्लास्टिक का बढ़ता उपयोग पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
- रसायनों का प्रयोग : रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुँचाते हैं। जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) के जलने से जहरीली गैसें निकलती हैं जो बाद में अम्लीय वर्षा और ग्लोबल वार्मिंग में बदल सकती हैं।
- प्राकृतिक कारण : कभी-कभी प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूस्खलन, बाढ़, ज्वालामुखी आदि को प्रदूषण पैदा करने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। वे मिट्टी के कटाव, जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण आदि के लिए जिम्मेदार हैं।
नियंत्रण और रोकथाम के लिए कदम
कुछ बातों का पालन करके और कुछ स्वस्थ आदतों को अपनाकर आप पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में आसानी से योगदान दे सकते हैं। जैसे की:
- साइकिल को प्राथमिकता दें।
- प्लास्टिक का अधिक उपयोग करने के बजाय बायोडिग्रेडेबल उत्पाद चुनें।
- अशुद्ध और जहरीले रसायनों को जल निकायों में प्रवाहित करने से पहले उनका उपचार करें।
- अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करें।
- नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग करें और जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सीमित करें।
- रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करके जैविक खेती को बढ़ावा दे।
पर्यावरण प्रदूषण का भविष्य पर प्रभाव
पर्यावरण प्रदूषण के प्रभाव में भविष्य की कल्पना करना हृदय विदारक है। अगर पर्यावरण काफी हद तक प्रदूषित होगा तो हमें सांस लेने के लिए ऑक्सीजन किट अपने साथ रखनी होगी। शुद्ध पानी पीने के लिए हमें एक-एक बूंद की कीमत चुकानी पड़ेगी।
इसके अलावा, मनुष्यों का जीवनकाल कम हो जाएगा और वे कई खतरनाक बीमारियों के शिकार होंगे। पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएगा और हमें जीने के लिए संघर्ष करना होगा। ग्लोबल वार्मिंग और एसिड रेन का बढ़ता असर इस धरती पर हर जीवन को खत्म कर देगा।
बढ़ता पर्यावरण प्रदूषण किसी देश विशेष की समस्या नहीं है बल्कि यह पूरे विश्व की समस्या है। आधुनिकीकरण हमें आरामदायक और आनंददायक जीवन दे रहा है, लेकिन दूसरी ओर, इसका प्रभाव हमारे जीवन के दिनों को सीमित कर रहा है। इसलिए, एक साथ लड़ने और इस समस्या से बाहर निकलने का समय आ गया है।
FAQs: Frequently Asked Questions on Environmental Pollution (पर्यावरण प्रदूषण पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
उत्तर. दुनिया के बढ़ते प्रदूषण में भारत तीसरे नंबर पर है।
उत्तर. तुर्की, फ्रांस, पोलैंड आदि कुछ पर्यावरण के अनुकूल देश हैं जहां सबसे कम प्रदूषण है।
उत्तर. 2022 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE), चीन, इराक आदि कुछ अत्यधिक प्रदूषित देश हैं।
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हमें आशा है आपको pollution essay in hindi language में पसंद आया होगा। आप इस निबंध को essay on pollution या short essay on pollution के रूप में भी प्रयोग कर सकते है। environment and pollution essay in hindi के ...
Find paragraphs, long and short essays on ‘Environmental Pollution’ especially written for school and college students in Hindi language. Essay # 1. वायु प्रदूषण (Air Pollution):
Jan 22, 2020 · दहेज़ प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi) भ्रष्टाचार मुक्त भारत पर निबंध (Corruption Free India Essay in Hindi)